गर्मी से राहत पाने के लिए चालू किया गया कूलर पूरे परिवार की जिंदगी पर कहर बनकर टूटा. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में गेहूं के कीड़े मारने के लिए रखी गई सल्फास दवा ने फॉस्फीन गैस बनकर पूरे परिवार को अपनी चपेट में ले लिया. घटना में दो बच्चों की मौत हो गई और उनके माता-पिता अभी भी ICU में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.
कैसे बनी मौत की गैस?
स्थानीय पुलिस और फॉरेंसिक टीम की जांच में सामने आया कि घर में करीब 25 क्विंटल गेहूं स्टोर था. कीड़ों से बचाने के लिए बोरियों में सल्फास (एल्युमिनियम फॉस्फाइड) की गोलियां रखी गई थीं. नमी और गर्मी के कारण ये रासायनिक रूप से टूटकर फॉस्फीन गैस छोड़ने लगी जो बेहद जहरीली होती है. गैस जब कूलर की हवा से पूरे कमरे में फैली तो परिवार को उल्टियां, सांस रुकना और बेहोशी जैसे लक्षण दिखने लगे.
थोड़ी सी मात्रा भी होती है जानलेवा
क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. उदय कुमार बताते हैं कि सल्फास का सबसे बड़ा खतरा यही है कि इसका कोई एंटीडोट यानी जहर उतारने की दवा नहीं है. ये शरीर के हर अंग पर असर डालती है. इससे फेफड़े, दिल और दिमाग सबसे पहले फेल होने लगते हैं. सिर्फ थोड़ी सी मात्रा भी इंसान की जान लेने के लिए काफी है.
डॉ. उदय आगे बताते हैं कि फॉस्फीन गैस रंगहीन होती है लेकिन इसकी गंध सड़े हुए मछली या लहसुन जैसी होती है. ये गंध महसूस होते ही कमरे से तुरंत निकल जाना चाहिए और डॉक्टर को बुलाना चाहिए.
फॉरेंसिक एक्सपर्ट की चेतावनी
फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. लोकेश चुग कहते हैं कि गांवों और छोटे कस्बों में लोग आज भी गेहूं या चावल में सल्फास रख देते हैं. ये प्रैक्टिस बेहद खतरनाक है. सल्फास हवा में नमी से रिएक्ट करके फॉस्फीन गैस छोड़ती है. इस गैस को आप देख नहीं सकते लेकिन ये कुछ ही मिनटों में फेफड़ों की ऑक्सीजन एक्सचेंज सिस्टम को ब्लॉक कर देती है.
घर में कभी न करें ये 3 गलतियां
सल्फास या कीटनाशक अनाज के पास न रखें. इसे हमेशा बाहर या किसी खुली जगह में इस्तेमाल करें.
कूलर या फैन चालू करके स्टोररूम न जाएं. इससे गैस तेजी से फैल सकती है.
नमी या बारिश के मौसम में सल्फास का प्रयोग न करें. ये गैस बनने का सबसे बड़ा ट्रिगर है.
सुरक्षा कैसे करें?
अगर अनाज में कीड़े लग रहे हैं तो नेचुरल तरीकों (नीम की पत्तियां, सूखी लाल मिर्च, लौंग आदि) का उपयोग करें.
सल्फास या एल्यूमिनियम फॉस्फाइड को कभी भी बंद कमरे में न रखें.
अगर किसी को अचानक चक्कर, सांस फूलना या उल्टी जैसा लगे तो तुरंत खुले में ले जाकर एम्बुलेंस को कॉल करें या अस्पताल ले जाएं.