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प्रोटीन सप्लीमेंट लेने से बढ़ रहा ज्वाइंडिस! डॉ. सरीन ने बताया बचने का तरीका

पद्म भूषण गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. शिवकुमार सरीन ने बताया है कि प्रोटीन सप्लीमेंट्स का अत्यधिक सेवन ज्वाइंडिस (पीलिया) का कारण बन सकता है, जिससे लिवर को गंभीर नुकसान हो सकता है.

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बिना सलाह के प्रोटीन सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए. (Photo: FreePic)
बिना सलाह के प्रोटीन सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए. (Photo: FreePic)

Protein supplements warning: एथलीट्स और बॉडीबिल्डर्स, वजन कम करने वाले लोग, शाकाहारी या वीगन लोग कई तरह के प्रोटीन सप्लीमेंट्स का उपयोग करते हैं. ये सप्लीमेंट रोज मर्रा की लाइफ में प्रोटीन की कमी को पूरा करते हैं जिनमें अधिक मात्रा में प्रोटीन होता है. ये आपतौर पर पाउडर के फॉर्म में होते हैं जिन्हें पानी या दूध में मिलाकर पिया जाता है. इनमें 5 ग्राम से लेकर 30 ग्राम तक प्रति सर्विंग व्हे प्रोटीन हो सकता है. पद्म भूषण गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट डॉ. शिवकुमार सरीन ने सरकारी समाचार चैनल को इंटरव्यू देते हुए प्रोटीन सप्लीमेंट के बारे में काफी चौंकाने वाली बात बताई थी जो सभी को जानना चाहिए.

क्या कहते हैं डॉ. सरीन?

डॉ. सरीन से जब इंटरव्यू में पूछा गया, प्रोटीन सप्लीमेंट्स कितने लाभदायक हैं? तो उन्होंने कहा, 'देखिए बॉडी बनाना और फिट रहना अलग-अलग चीजें हैं. बॉडी बनाना तो यूथ को बहुत जरूरी है. हां, पर वो बॉडी आप नॉर्मल प्रोटीन, नॉर्मल खाने से भी बना सकते हैं.'

'ये एक मिथ है कि मेरे को बहुत क्रिएटीन चाहिए, इतने सारे प्रोटींस चाहिए. हां, आप वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए जा रहे हैं तो स्पेशलाइज्ड डाइटिशियन से स्पेशलिस्ट से सलाह ले सकते हैं. लेकिन 99% प्रोटीन सप्लीमेंट्स की लोगों को जरूरत नहीं होती. उनका कोई फायदा नहीं है और हां नुकसान जरूर है.'

'हर हफ्ते कम से कम 3 या 4 मरीज ऐसे आते हैं जिनको इन सप्लीमेंट से ज्वाइंडिस हो गया है. और उनमें से कई को ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ गई है. तो मैं क्लियरली कहूंगा कि किसी सप्लीमेंट की जब तक कि कोई स्पेशलिस्ट ने ना कहा हो या आप दूसरों का लेता हुआ देखें, आपको कोई जरूरत नहीं है.'

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जैसा कि डॉ. सरीन ने बताया है कि नॉर्मल प्रोटीन के लिए आप लस्सी, सोया और अंडे जैसी चीजें खाएं. 

क्या होता है ज्वाइंडिस?

ज्वाइंडिस को आम भाषा में पीलिया कहते हैं. यह एक बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है. बिलीरुबिन का निर्माण शरीर के टिश्यूज और खून में होता है. आमतौर पर जब किसी कारणों से लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होता है. बिलीरुबिन लिवर से फिल्टर होकर शरीर से बाहर निकलता ह, लेकिन जब किसी कारणों से यह खून से लिवर में नहीं जाता है या लिवर द्वारा फिल्टर नहीं होता है तो शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाती है जिससे पीलिया होता है.

अधिकतर मामलों में पीलिया नवजात शिशुओं को होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह वयस्कों को भी हो सकता है. समय पर पीलिया का इलाज नहीं कराने पर सेप्सिस हो सकता है और कुछ मामलों में लिवर फेल हो सकता है.

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