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हवा-पानी से शरीर में जाकर लिवर सड़ा रहा खतरनाक केमिकल! ये लोग अधिक जोखिम में

रिसर्च में पता चला है कि ड्राई क्लीनिंग और घरेलू उत्पादों में पाए जाने वाला टेट्राक्लोरोइथिलीन (पीसीई) लिवर फाइब्रोसिस और कैंसर का जोखिम तीन गुना बढ़ा सकता है. यह केमिकल हवा, पानी और घरेलू सामानों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है.

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लिवर डिजीज के कारणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए. (Photo: AI Generated)
लिवर डिजीज के कारणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए. (Photo: AI Generated)

लिवर डिजीज प्रायः 3 मुख्य कारणों से जुड़ा होता है. पहला अत्यधिक शराब का सेवन, दूसरा मोटापा-डायबिटीज और तीसरा हाई कोलेस्ट्रॉल. इनके कारण लिवर में फैट अधिक मात्रा में जम जाता है या हेपेटाइटिस बी या सी का संक्रमण होने लगता है. लेकिन हाल ही में एक रिसर्च में दावा किया गया है कि घरों में उपयोग होने वाली एक कॉमन चीज के कारण भी लिवर की समस्याएं बढ़ रही हैं. यूएससी के केक मेडिसिन द्वारा लिवर इंटरनेशनल में पब्लिश हुई स्टडी से पता चलता है कि टेट्राक्लोरोइथिलीन (पीसीई) की पहचान की गई है जो आमतौर पर ड्राई क्लीनिंग में इस्तेमाल होने वाला एक केमिकल है और जो रोजमर्रा के प्रोडक्ट जैसे क्राफ्ट एडहेसिव, दाग हटाने वाले और स्टेनलेस स्टील पॉलिश में पाया जाता है, वह भी लिवर के लिए जोखिम पैदा कर रहा है.

क्या पाया स्टडी में?

दक्षिणी कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी से पता चलता है कि पीसीई के संपर्क में आने वाले लोगों में गंभीर लिवर फाइब्रोसिस विकसित होने का जोखिम 3 गुना अधिक था जो आगे चलकर लिवर कैंसर, लिवर फेलियर या यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है. रक्तप्रवाह में जितना अधिक पीसीई मौजूद होता है, खतरा उतना अधिक होता है. रिसर्च में एक स्पष्ट प्रवृत्ति भी सामने आई जिसमें इस केमिकल के अधिक संपर्क में रहने से लिवर को गंभीर नुकसान होने की संभावना होती है.

पीसीई क्या है?

पीसीई एक मानव निर्मित रंगहीन लिक्विड होता है जिसका उपयोग ड्राई क्लीनिंग, घरेलू सामान और औद्योगिक क्षेत्रों में दाग-धब्बों हटाने तथा अन्य कामों के लिए किया जाता है. अधिकतर लोग आमतौर पर हवा के माध्यम से पीसीई के संपर्क में आते हैं. जैसे, यह केमिकल समय के साथ ड्राई क्लीन किए गए कपड़ों से धीरे-धीरे हवा में फैल सकता है.

पीसीई दूषित स्थानों से आने वाले पीने के पानी में भी मौजूद हो सकता है क्योंकि पीसीई के रिसाव के कारण यह मिट्टी और फिर जमीन के पानी तक पहुंच सकता है. कैंसर पर रिसर्च के लिए इंटरनेशनल एजेंसी ने पीसीई को एक संभावित कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया है और इसे ब्लैडर कैंसर, मल्टीपल मायलोमा और नॉन-हॉजकिन लिंफोमा से जोड़ा है. कई रिसर्चों से पता चला है कि पीसीई के संपर्क में आने से लिवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

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2017 और 2020 के बीच 20 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों पर किए गए एक नेशनल हेल्थ और न्यूट्रिशन एग्जामिनेशन सर्वेक्षण (एनएचएएनईएस) के आंकड़ों से पचा चलता है कि लगभग 7% आबादी के खून में पीसीई का लेवल इतना अधिक था कि वो आसानी से पता लगाया जा सकता है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

केक मेडिसिन के हेपेटोलॉजिस्ट और लिवर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ और रिसर्च के मुख्य राइटर, ब्रायन पी. ली ने कहा, 'यह रिसर्च जो मनुष्यों में पीसीई के स्तर और गंभीर लिवर फाइब्रोसिस के बीच संबंध की जांच करने वाला पहली पहली रिसर्च है, लिवर की हेल्थ में पर्यावरणीय कारकों की कम रिपोर्ट की गई भूमिका को रेखांकित करता है. निष्कर्ष बताते हैं कि पीसीई के संपर्क में आने से लिवर की गंभीर बीमारी हो सकती है.'

किन लोगों को अधिक खतरा?

रिसर्च से पता चला कि पीसीई के संपर्क में आने का सबसे ज़्यादा खतरा अधिक कमाई वाले परिवारों को था क्योंकि वे लोग ड्राई क्लीनिंग की सुविधा का अधिक लाभ उठाते हैं. वहीं वे लोग वर्कप्लेस पर उपयोग हो रहे पीसीई के संपर्क में भी अधिक समय तक रहते हैं.

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि खून में पीसीई कंसंट्रेशन में प्रत्येक 1 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर की वृद्धि (1 नैनोग्राम, एक ग्राम का एक अरबवां भाग होता है) से व्यक्ति में लिवर फाइब्रोसिस होने की संभावना 5 गुना बढ़ जाती है. ध्यान देने योग्य बात यह है कि शराब का सेवन और लिवर में फैट का जमाव जो मोटापे और अन्य स्वास्थ्य कारकों से जुड़ा है, पीसीई की उपस्थिति में लिवर फाइब्रोसिस में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाता. ऐसे में मरीज पूछेंगे कि अगर मैं शराब नहीं पीता और मुझे लिवर डिजीज से जुड़ी कोई भी स्वास्थ्य समस्या नहीं है, तो मुझे ये वाली लिवर डिजीज कैसे हो गई? इसका जवाब हो सकता है कि वे पीसीई के संपर्क में अधिक रहे हों.

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