'हाइट नहीं बढ़ रही... बच्चा दुबला है... कुछ खिलाओ ना यार, प्रोटीन पाउडर या हेल्थ ड्रिंक दे दो...'हर मिडिल क्लास पेरेंट्स को बच्चों की ग्रोथ को लेकर ये डायलॉग अक्सर सुनने को मिल जाता है. बाजार में नामी-गिरामी ब्रांड्स से लेकर लोकल प्रोडक्ट्स तक, बच्चों की हाइट और वेट बढ़ाने का दावा करने वाले सैकड़ों सप्लीमेंट्स मिल जाएंगे. लेकिन क्या वाकई ये फायदेमंद हैं? या फिर ये बच्चों के शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा रहे हैं?
aajtak.in ने डॉक्टर्स और न्यूट्रिशनिस्ट्स से बातचीत में जाना कि कि हाइट-वेट बढ़ाने के चक्कर में कई पैरेंट्स बच्चों के लिवर, किडनी और हार्मोनल बैलेंस तक खतरे में डाल देते हैं. आइए जानते हैं कि बच्चों की हाइट का डाइट से क्या कनेक्शन है.
हाइट का कनेक्शन सिर्फ सप्लीमेंट से नहीं
सीनियर डाइटीशियन फारेहा शानम कहती हैं कि हाइट का कनेक्शन सप्लीमेंट से नहीं, जेनेटिक्स, डेली न्यूट्रिशन, एक्टिविटी लेवल और स्लीप से है. अगर बच्चा हेल्दी बैलेंस्ड डाइट ले रहा है तो उसे अलग से कुछ देने की जरूरत नहीं.
बच्चों के लिवर पर सबसे ज्यादा असर
KGMU लखनऊ के मेडिसिन डिपार्टमेंट के सीनियर डॉक्टर प्रो कौसर उस्मान कहते हैं कि ऐसा कई बार चर्चा में आया है कि कई हेल्थ ड्रिंक्स में हिडेन स्टेरॉइड्स, सिंथेटिक हार्मोंस और प्रिजर्वेटिव होते हैं. ये तत्व 6 से 14 साल के बच्चों के डेवलेपिंग लिवर समेत अन्य अंगों पर सीधा असर डाल सकते हैं.
Market में बूम: लेकिन रेगुलेशन जीरो
Nutraceutical Industry आज करोड़ों की है. फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने दो साल पहले अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि देश में करीब 15 फीसदी प्रोटीन पाउडर और फूड सप्लीमेंट्स सुरक्षित नहीं हैं. 2021-22 के दौरान एकत्रित किए गए 1.5 लाख डायटरी सप्लीमेंट्स में से करीब 4890 सैम्पल्स सेहत के लिए सही नहीं पाए गए.
सीनियर डाइटीशियन फारेहा के मुताबिक फूड सप्लीमेंट्स या न्यूट्रिएंट्स हम अपनी डाइट में नहीं ले पाते उन्हें पूरा करने के लिए डायटरी सप्लीमेंट्स लिए जाते हैं, जो शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने का काम करते हैं. लेकिन इन सप्लीमेंट्स को कभी भी बिना डॉक्टरी सलाह के अपनी तरफ से बच्चों को नहीं देने चाहिए.
क्या कॉमन गलतियां करते हैं पेरेंट्स
TV Ads पर भरोसा कर लेना: 2 इंच की हाइट बढ़ाएं, 30 दिन में फर्क दिखेगा... इस तरह के विज्ञापन सिर्फ मार्केटिंग के फंडे हैं, इनके दावों को मानकर अपनी तरफ से कोई उत्पाद बच्चे को नहीं देना चाहिए.
खाली पेट पाउडर देना: कई पेरेंट्स बिना डॉक्टर की सलाह के सप्लीमेंट खाली पेट देते हैं, जो सीधे लिवर पर वार करता है.
दूध में मिलाकर हेल्थ ड्रिंक्स देना: दूध में मिलाकर दिए जाने वाले हेल्थ ड्रिंक्स में शुगर और स्टार्च की मात्रा बहुत ज्यादा होती है.
एक-दूसरे की देखादेखी: ये सबसे खतरनाक सोच है जब हम दूसरों की देखादेखी अपने बच्चों को कोई सप्लीमेंट देने लगते हैं.
बिना ब्लड टेस्ट के सप्लीमेंट देना: शरीर में आयरन, कैल्शियम या प्रोटीन की कमी न होने पर भी सप्लीमेंट देना इंटरनल बैलेंस बिगाड़ सकता है.
क्या कहते हैं आंकड़े?
The Lancet Child and Adolescent Health की एक स्टडी (2023) के मुताबिक, साउथ एशिया में 30% पेरेंट्स बच्चों को बिना डॉक्टरी सलाह के OTC सप्लीमेंट देते हैं. WHO की रिपोर्ट (2022) में कहा गया कि 5 में से 1 बच्चा मेटाबॉलिक डिसऑर्डर की तरफ बढ़ रहा है, जिसकी एक बड़ी वजह गलत न्यूट्रिशन प्रैक्टिसेज हैं.
बच्चों की सही डाइट कैसी हो?
सीनियर डाइटिशियन फारेहा शानम के मुताबिक बच्चों को सुबह दूध, ड्राई फ्रूट्स, अंडा/पोहा/उपमा और दोपहर के लंच में दाल-चावल, हरी सब्जी, दही, सलाद और शाम को फल या मखाने खिलाना सही रहता है. इसके बाद रात में रोटी-सब्जी और हल्का मीठा जैसे गुड़ या खीर दे सकते हैं.
क्या करें अभिभावक
Growth Tracker रखें:बच्चे की हाइट और वेट को हर 3 महीने में डॉक्टर से चेक करवाएं.
डॉक्टर से पूछें: कोई भी सप्लीमेंट देने से पहले Pediatrician से राय लें.
एक्टिविटी बढ़ाएं:आउटडोर प्ले, स्विमिंग, स्किपिंग आदि ये नेचुरल हाइट बूस्टर्स हैं.
नींद पूरी करवाएं:बच्चे के लिए कम से कम 9 घंटे की नींद जरूरी है. ग्रोथ हार्मोन रात में सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं.
हाइट के 5 नेचुरल बूस्टर्स
Ashwagandha: आयुर्वेद में इसे ग्रोथ बूस्टर माना गया है, लेकिन डॉक्टर की सलाह जरूरी है.
B12-rich diet: दूध, पनीर, अंडा आदि
Zinc: चना, मूंगफली, कद्दू के बीज आदि
Calcium & Vitamin D: धूप, तिल, पालक आदि
Protein: दालें, सोया, टोफू आदि खिला सकते हैं.