पेट में गड़बड़ है, कुछ उल्टा खा लिया होगा...शायद एसिडिटी है, दवा ले लो...हर बार पेट दर्द और ब्लोटिंग को ‘गैस’ मान लेना हमारी सबसे बड़ी गलती भी हो सकती है. कई बार ये मामूली दिखने वाले लक्षण हॉर्मोनल असंतुलन का संकेत होते हैं जो ना सिर्फ आपकी पीरियड हेल्थ बल्कि मेंटल हेल्थ तक को प्रभावित कर सकता है् आइए जानते हैं कि ये कैसे समझें कि ये सिर्फ गैस है या कोई बड़ा इश्यू? कैसे पकड़ें छिपे हुए हॉर्मोनल डिस्टर्बेंस को? ऐसे में क्या करें इसके इलाज के लिए?
हॉर्मोन और पेट का कनेक्शन, कम ही लोग जानते हैं
लेडी हार्डिंग अस्पताल दिल्ली की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ मंजू पुरी बताती हैं कि महिलाओं के डाइजेस्टिव सिस्टम पर हॉर्मोन का सीधा असर पड़ता है. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हॉर्मोन जब असंतुलित होते हैं तो आंतों की गति बदल जाती है. इसका असर कब्ज, दस्त, ब्लोटिंग और पेट दर्द के रूप में सामने आता है. यानी अगर हर महीने पीरियड्स से पहले पेट फूलता है या बार-बार गैस बनने की शिकायत है तो यह सिर्फ डाइट का नहीं, हॉर्मोनल शिफ्ट का इशारा भी हो सकता है.
रिसर्च क्या कहती है?
अमेरिका की Cleveland Clinic की रिसर्च कहती है कि महिलाओं में 70% डाइजेस्टिव इश्यू हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव से जुड़े होते हैं, खासकर मेन्स्ट्रुअल साइकिल, प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज़ के दौरान ये जरूर होता है. वहीं Healthline की रिपोर्ट के मुताबिक हॉर्मोनल इम्बैलेंस के लक्षण अक्सर पाचन समस्याओं जैसे लगते हैं जिसके चलते महिलाएं इलाज में देर कर देती हैं.
इन लक्षणों से जूझ रही हैं तो एलर्ट हो जाएं
बार-बार ब्लोटिंग या पेट फूलना
मूड स्विंग्स या चिड़चिड़ापन
अनियमित पीरियड्स या बहुत ज्यादा ब्लीडिंग
नींद न आना या हर वक्त थकान
मुंहासे, बाल झड़ना या चेहरे पर बाल आना
कब्ज या उल्टी दस्त की शिकायत
एंडोक्रिनोलॉजिस्ट का मानना है कि लोग सोचते हैं कि मूड स्विंग्स या पेट दर्द तो सामान्य हैं, लेकिन जब ये लगातार हों और अन्य लक्षण जुड़ते जाएं तो समझ जाइए कि शरीर अंदर से help मांग रहा है.
वो 4 हॉर्मोन जो सबसे ज्यादा गड़बड़ी करते हैं
एस्ट्रोजन – अगर ज्यादा है, तो ब्लोटिंग और भारी ब्लीडिंग हो सकती है
प्रोजेस्टेरोन – इसकी कमी से थकान, मूड स्विंग्स और कब्ज
थायरॉइड हॉर्मोन – इसके असंतुलन से वजन बढ़ना या घटना, गैस्ट्रिक प्रॉब्लम
कॉर्टिसोल – स्ट्रेस बढ़ाए, नींद और डाइजेशन बिगाड़े
5. डायग्नोसिस कैसे होगा?
सिर्फ लक्षणों के आधार पर अंदाजा न लगाएं. इसके लिए खून की जांच (Blood panel) जरूरी है जिसमें इन हॉर्मोन का स्तर चेक किया जाता है. ये टेस्ट आपके हार्मोनल इमबैलेंस को समझने के लिए ये टेस्ट कराएं
TSH, T3, T4 (थायरॉइड के लिए)
FSH, LH, Prolactin, Estrogen, Progesterone
Vitamin D, B12 (ये भी गैस और थकान में भूमिका निभाते हैं)
क्या है इलाज
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिखा दीक्षित कहती हैं कि पहला स्टेप है शरीर को सुनना, जब तक हम लक्षणों को ‘गैस’ मानते रहेंगे, तब तक इलाज की सही दिशा नहीं मिलेगी.
इलाज में शामिल हो सकते हैं
हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT)
लाइफस्टाइल बदलाव – डाइट, एक्सरसाइज, स्ट्रेस मैनेजमेंट
योग और मेडिटेशन – cortisol को बैलेंस करने में कारगर
दवाएं और सप्लीमेंट्स – थायरॉइड या PCOS में डॉक्टर गाइड करेंगे
घरेलू उपाय और डाइट टिप्स
फाइबर रिच डाइट लें – फल, सब्जियां, दालें
प्रोबायोटिक्स (जैसे दही) पाचन सुधारते हैं
रात को बहुत भारी खाना ना खाएं
चाय, कॉफी और पैक्ड फूड से दूरी बनाएं
हफ्ते में 4 दिन, कम से कम 30 मिनट वॉक करें
कब डॉक्टर के पास जाना चाहिए?
अगर गैस, पेट दर्द या ब्लोटिंग हफ्ते में 3-4 बार हो रही है
साइकिल से ज्यादा पीरियड्स अनियमित हैं
वजन तेजी से बढ़ा या घटा है
स्ट्रेस लेवल हाई है और नींद डिस्टर्ब हो रही है
(नोट: ये स्टोरी आम जागरूकता के लिए है। किसी भी हेल्थ कंडीशन में डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)