Anti-Rabies Vaccine: पूरे भारत में कुत्तों के काटने की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं. इसी का नतीजा है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से सड़कों पहर मौजूद सभी कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम्स में शिफ्ट करने का आदेश दिया है. दरअसल, कुत्तों का काटना एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है. कुत्तों के काटने के हर महीने हजारों मामले सामने आते हैं, जिससे रेबीज नामक एक गंभीर बीमारी हो जाती है. रेबीज कुत्तों, बिल्लियों और बंदरों जैसे जानवरों के काटने से फैलने वाला एक घातक इंफेक्शन है, जिसे रोकने के लिए डॉक्टर्स एंटी-रेबीज वैक्सीन लगाते हैं. भारत में, ये लाइफ सेवर वैक्सीन केवल इन जानवरों द्वारा काटे जाने के बाद ही लगाई जाती है. रेबीज का समय पर इलाज न हो तो बचना लगभग नामुमकिन है इसलिए इसकी वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी होता है.
भारत में इसे सिर्फ तब लगाया जाता है जब कोई कुत्ता या बंदर या बिल्ली काट ले, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि विदेशों में इस वैक्सीन को बिना किसी के काटे भी लगाया जा सकता है. लेकिन भारत में ऐसा नहीं किया जा सकता. प्राइवेट हॉस्पिटल भी बिना किसी जानवर के काटे रेबीज की वैक्सीन नहीं लगाते हैं. इससे ये सवाल उठता है कि भारत में एंटी-रेबीज वैक्सीन पहले से क्यों नहीं दिया जा सकता, खासकर इसलिए, क्योंकि बाकी टीके तो अलग-अलग बीमारियों से बचाव के लिए बच्चों को शुरू से ही दिए जाते हैं.
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल (आरएमएल) में कम्युनिटी मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सागर बोरकर ने एक इंटरव्यू में कहा कि एंटी-रेबीज वैक्सीन बच्चों को दिए जाने वाले या रूटीन वैक्सीनेशन कैंपेन में लगने वाली नॉर्मल वैक्सींस जैसा नहीं है. ये वैक्सीन केवल तभी दिया जाता है जब किसी व्यक्ति को कुत्ते, बिल्ली या बंदर जैसे जानवरों ने काट लिया हो. इसका मकसद शरीर में इम्युनिटी बढ़ाना और रेबीज जैसे खतरनाक वायरस से बचाव करना है.
ये वैक्सीन आमतौर पर उन लोगों को दी जाती है जिनमें खतरा ज्यादा होता है, जैसे एनिमल डॉक्टर, जानवरों के साथ काम करने वाले लोग या फिर ऐसे इलाकों में रहने वाले जहां रेबीज का खतरा ज्यादा है. इसके बावजूद, इसके असर करने का टाइम सिर्फ करीब तीन साल होती है, इसलिए इस वैक्सीन को बार-बार लगाने की सलाह नहीं दी जाती.
अगर इस वक्त के दौरान किसी को रेबीज काटे जाने की पुष्टि हो जाती है, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाजेशन/WHO) के दिशानिर्देशों के अनुसार, उसे दो बूस्टर खुराक दी जा सकती हैं. वैक्सीन और बूस्टर डोज के बारे में निर्णय अक्सर एंटी-रेबीज वैक्सीनेशन केंद्र के हेल्थ एक्सपर्ट पर निर्भर करता है, जो जख्म की गंभीरता, कुत्ते की स्थिति और बाकी फैक्टर्स पर विचार करते हैं.