Alarm Snooze Side Affects: स्कूल, कॉलेज और ऑफिस जाने के लिए हर कोई रात को सुबह समय से उठने के लिए अलार्म लगाता है.मगर अपने अलार्म को वो बार-बार स्नूज कर देते हैं, कुछ लोगों के लिए ये मामूली बात होती है और ये उनकी लाइफ का एक रूटीन ही बन जाता है. कई लोग तो ऐसे होते हैं जो हर सुबह जब तक 2 से 3 बार अलार्म को स्नूज न कर दें, तब तक उठते नहीं है.ये आदत देखने में भले ही मामूली लगती है, मगर क्या आप जानते हैं कि हर 10-15 मिनट में बजने वाले अलार्म को बार-बार स्नूज करना आपके सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
स्नूज बटन को बार-बार दबाना हमारी हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है, ऐसा करने से नींद खराब होती है और दिमागी शक्ति और ओवरऑल हेल्थ को खराब करती है. आपकी ये छोटी-सी आदत लंबे समय में आपकी नींद, दिमाग और हेल्थ पर बुरा असर डाल सकती है, इस आर्टिकल में हम आपको इस बारे में बताएंगे.
डॉ. गोरव गुप्ता, सीईओ और सीनियर साइकाइट्रिस्ट, तुलसी हेल्थकेयर, गुरुग्राम के मुताबिक, ' पहला अलार्म हमारे शरीर को जागने का नैचुरल सिग्नल देता है, लेकिन बार-बार उसे टालने से बॉडी की बायोलॉजिकल क्लॉक असंतुलित हो जाती है. बार-बार अलार्म बजाना और उसे स्नूज करना दिमाग को कंफ्यूज कर देता है. ये आदत लंबे समय में मेमोरी, हार्मोनल बैलेंस और इम्यून सिस्टम पर भी बुरा असर डाल सकती है.'
जब आप बार-बार अलार्म को स्नूज करते हैं तो इसका सीधा असर हमारी नींद के नेचुरल साइकिल पर पड़ता है. नींद आमतौर पर कई चरणों में बंटी होती है जैसे हल्की नींद, गहरी नींद और REM (Rapid Eye Movement) नींद. ये पूरा एक स्लीप साइकिल लगभग 90 मिनट का होता है, जब अलार्म बार-बार बजता है और आप 5-10 मिनट दोबारा सोने की कोशिश करते हैं तो आपका दिमाग फिर से नए स्लीप साइकिल में एंटर करने लगता है, लेकिन वो पूरा नहीं हो पाता. इस अधूरी नींद की वजह से शरीर और दिमाग को रिकवरी का पूरा मौका नहीं मिलता और नींद की क्वालिटी गिर जाती है.
नींद अधूरी रह जाने के कारण शरीर को एनर्जी पूरी तरह से रिस्टोर नहीं मिलती. यही वजह है कि सुबह उठने के बाद भी फ्रेश महसूस करने के बजाय थकान और भारीपन महसूस होता है. जो लोग स्नूज करने की आदत डाल लेते हैं, वे अक्सर दिनभर सुस्ती और थकान से घिरे रहते हैं. ऑफिस या पढ़ाई में फोकस करना मुश्किल हो जाता है और शरीर हर समय लो एनर्जी मोड में रहता है.
नींद दिमाग के लिए रीसेट बटन की तरह काम करती है, जब नींद पूरी नहीं होती तो कंसंट्रेशन, मेमोरी और डिसीजन लेने की पावर कमजोर पड़ने लगती है. यही कारण है कि स्नूज करने वाले लोग ऑफिस के काम, पढ़ाई या रोजाना के काम में जल्दी थक जाते हैं, उनका ध्यान बार-बार भटकता है और वे आसानी से चिड़चिड़े हो जाते हैं. लंबे समय तक ऐसा रहना ब्रेन फॉग और मानसिक थकान जैसी स्थिति को पैदा कर सकता है.
रिसर्च बताती है कि बार-बार नींद टूटने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन (कॉर्टिसोल) का लेवल बढ़ने लगता है. जब ये लगातार होता है तो शरीर का हॉर्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता है. इसका असर मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है और धीरे-धीरे मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. हॉर्मोनल असंतुलन का असर इम्यून सिस्टम पर भी पड़ सकता है जिससे आप बीमारियों के लिए ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं.
अलार्म बजने पर शरीर अचानक अलर्ट मोड में आ जाता है, ये बार-बार होने से हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर नॉर्मल से ज्यादा बढ़ जाते हैं. सुबह का ये झटका दिल पर ज्यादा दबाव डालता है, अगर ये आदत लंबे समय तक बनी रहती है तो दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है. डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि दिल की सेहत के लिए नियमित और पूरी नींद बेहद जरूरी है.
लगातार स्नूज दबाने और अधूरी नींद लेने से पूरे दिन का मूड खराब रहता है. आप छोटी-छोटी बातों पर चिड़ने लगते हैं. आपको गुस्सा जल्दी आ सकता है या उदासी महसूस हो सकती है. लंबे समय तक ऐसा होना आपकी मेंटल हेल्थ पर गहरा असर डालता है और डिप्रेशन, एंग्जायटी या स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी दिक्कतों का खतरा ज्यादा बढ़ सकता है. नींद हमारे दिमाग को बैलेंस और पॉजिटिव बनाए रखने में खास रोल निभाती है, इसलिए नींद की कमी सीधा मेंटल हेल्थ से जुड़ी होती है.