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फैक्ट चेक: हाथ में शील्ड लेकर खुदको पत्थरबाजों से बचाते ये पुलिसकर्मी बंगाल के नहीं हैं

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में हुई हिंसा के बाद दर्जनों लोगों की गिरप्तारी हो चुकी है. सोशल मीडिया पर उपद्रवियों द्वारा पुलिस पर पत्थरबाजी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे लोग मुर्शिदाबाद हिंसा से जोड़ रहे हैं. आजतक की फैक्ट टीम ने इस दावे की पड़ताल कर सच्चाई का पता लगाया है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये वीडियो पश्चिम बंगाल का है, जहां पुलिसकर्मी हाथ में शील्ड पकड़कर खुद को पत्थरबाजों से बचा रहे हैं. 
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये नेपाल के काठमांडू का वीडियो है, जहां राजशाही की मांग को लेकर मार्च में हुए एक प्रदर्शन के दौरान ये घटना हुई थी. 

मुर्शिदाबाद में हाल ही में हुई हिंसा के बाद से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया है जिसमें पुलिस की टीम पर कुछ लोग पत्थरबाजी करते हुए दिख रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये वीडियो पश्चिम बंगाल का है जहां उपद्रवियों ने पुलिस का ये हाल किया. 

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वीडियो किसी सड़क का है, जहां कुछ लोग पुलिस वालों पर पत्थर फेंक रहे हैं. पुलिस अपने आप को शील्ड से बचाते हुए दिख रही है. वीडियो के अंदर टेक्स्ट में लिखा है, “बंगाल में पुलिस की हालत देख लो. ये पुलिस रक्षा करेगी.”

फेसबुक पर ये वीडियो शेयर करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा, “बंगाल के लोग भी कहते थे हमारी सुरक्षा के लिए तो पुलिस हैं, देख लो बंगाल में पुलिस की हालत, दूसरों की गलतियों से सीखों हिंदुओं.”

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो बंगाल का नहीं है, नेपाल के काठमांडू का है, जहां राजशाही की मांग को लेकर मार्च में हुए एक प्रदर्शन के दौरान ये घटना हुई थी. 

कैसे पता लगाई सच्चाई?

वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें ये मार्च 2025 के एक फेसबुक पोस्ट में मिला. यहां इसे ‘Explore Nepal’ नाम के एक पेज ने शेयर किया था. पोस्ट के कैप्शन में नेपाली में लिखा है कि इन लोगों ने एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर अपना गुस्सा निकाला. 

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खबरों के मुताबिक, नेपाल के काठमांडू में राजशाही की मांग को लेकर 28 मार्च को एक प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. 

दरअसल, 40 से ज्यादा नेपाली संगठनों के प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के तिनकुने में एक इमारत में तोड़फोड़ कर उसमें आग लगा दी थी. इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वालों पर पत्थर भी फेंके, जिसके जवाब में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे. मामले में हिंसा को बढ़ावा देने, निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, और आगजनी करने के आरोप में पुलिस ने 100 से भी अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था. साथ ही, प्रशासन ने काठमांडू में कर्फ्यू लागू कर सेना की तैनाती कर दी थी. 

हमें 28 मार्च के और भी कई सोशल मीडिया पोस्ट्स और यूट्यूब वीडियो में इस घटना से मिलते-जुलते वीडियो मिले. इनमें भी इसे नेपाल की घटना बताया गया है. 

बता दें कि नेपाल के पूर्व राज्य ज्ञानेन्द्र शाह ने 19 फरवरी को प्रजातंत्र दिवस पर लोगों से समर्थन की मांग की थी. इसके बाद देश में राजशाही बहाल होने की मांग को लेकर नेपाल के लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया, जो अभी तक चल रहा है.

 

साफ है, नेपाल के एक पुराने वीडियो को पश्चिम बंगाल का बताते हुए लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है. 

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