
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन एक बार फिर चर्चा में है. बीते दिनों इसे लेकर राज्य के बीड सहित कई शहरों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि मराठा आंदोलन के दौरान बच्चों ने बीजेपी नेताओं के पोस्टरों पर पेशाब करके अपना विरोध जाहिर किया. वीडियो को महाराष्ट्र के बीड जिले की गेवराई तहसील का बताया जा रहा है.

वीडियो में नजर आ रहा है कि एक कतार में खड़े होकर कुछ अर्धनग्न बच्चे सड़क पर लगे महाराष्ट्र के नेताओं के पोस्टरों पर पेशाब कर रहे हैं. पोस्टरों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार सहित कई नेताओं की तस्वीरें छपी हैं. वीडियो के आखिर में बच्चों को साथ में एक मंच पर बैठे देखा जा सकता है.

ट्विटर पर इसे शेयर करते हुए लोग कैप्शन में लिख रहे हैं, "महाराष्ट्र में "मराठा आरक्षण आंदोलन" में सभी बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व को मासूम बच्चों के मूत्र छंटकाव कर पवित्र करने की कोशिश की गई". फेसबुक पर भी यूजर्स ने इसे शेयर किया है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो महाराष्ट्र के गेवराई का ही है और मराठा आंदोलन से जुड़ा है. लेकिन विरोध प्रदर्शन में इन बच्चों ने सिर्फ बीजेपी नहीं बल्कि विपक्ष के कुछ नेताओं के पोस्टरों पर भी पेशाब की थी.
कैसे पता की सच्चाई?
गूगल पर कुछ कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें इसी से मिलता-जुलता वीडियो 'पब्लिक' ऐप पर मिला. यहां वीडियो को गेवराई का बताकर 29 अक्टूबर, 2023 को शेयर किया गया था. यहां वीडियो के साथ मराठी में लिखा है कि गेवराई के शास्त्री चौक पर बच्चों ने आंदोलन के दौरान सभी दलों के नेताओं के बैनर पर पेशाब की. यह वीडियो दूसरी तरफ से शूट किया गया है.
29-30 अक्टूबर को और भी कई लोगों ने वायरल वीडियो या इसी तरह के और वीडियोज को इंस्टाग्राम और फेसबुक पर गेवराई का बताकर शेयर किया था.
अगर ध्यान से देखें तो इनमें शुरुआत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के पोस्टर भी देखे जा सकते हैं. इसके अलावा बैनर के दूसरी तरफ महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण की तस्वीरें भी नजर आ रही हैं.


गूगल मैप्स के स्ट्रीट व्यू की मदद से हमने इस बात की भी पुष्टि की कि वायरल वीडियो गेवराई के शास्त्री चौक का ही है.

मामले के बारे में और जानने के लिए हमने गेवराई के स्थानीय पत्रकार सुशील टाकले से बात की. उन्होंने हमें बताया कि ये गेवराई में हाल ही में हुए मराठा आंदोलन का ही वीडियो है. सुशील के मुताबिक, उन्होंने इस विरोध प्रदर्शन को कवर किया था. और इसमें दिख रहे बच्चे 'सकल मराठा' नाम के एक संगठन से जुड़े लोगों के बच्चे हैं.
सुशील ने भी यही कहा कि सड़क पर सिर्फ बीजेपी नेताओं के नहीं बल्कि सभी दलों के नेताओं के पोस्टर लगे थे. आंदोलनकारियों का मानना है कि उन्हें अभी तक आरक्षण ना मिल पाने का कारण सभी दल के नेता हैं.
मराठा आंदोलन को लेकर छपी खबरों में भी बताया गया है कि प्रदर्शनकारियों ने सत्ताधारी दल के साथ-साथ विपक्षी नेताओं को भी अपने निशाने पर लिया.
मराठा आंदोलन क्या है?
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लोग काफी लंबे समय से आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे हैं. खबरों के अनुसार, मराठा आरक्षण का पहला बड़ा आंदोलन 1982 में हुआ था. इसके बाद से कई बार महाराष्ट्र में यह आंदोलन हो चुका है. इस बार के आंदोलन के केंद्र में मनोज जरांगे नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. अपनी मांगों को लेकर वो नौ दिनों से अनशन पर बैठे थे.
बीबीसी की खबर में बताया गया है कि जरांगे की मांग है कि सभी मराठाओं को कुनबी उपजाति माना जाए जिससे उन्हें ओबीसी के तहत नौकरी व शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल सके. 2 नवंबर को आंदोलन की आग थोड़ी कम हुई जब मनोज जरांगे ने सरकार के प्रतिनिधि मंडल से मिलने के बाद अपना अनशन तोड़ दिया. उन्होंने सरकार से दो महीने के अंदर यह मुद्दा सुलझाने को कहा है.