सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें लोगों की भारी भीड़ पुलिस की वर्दी पहने एक आदमी को पकड़कर कहीं ले जाती हुई दिख रही है. कुछ लोग इस शख्स को मार भी रहे हैं.
वायरल पोस्ट के मुताबिक इस पुलिसकर्मी ने डॉ भीमराव आंबेडकर के खिलाफ कुछ बयान दिया था, जिससे नाराज लोगों ने इसका ये हाल कर दिया.
वीडियो पर कमेंट करते हुए यूजर्स लिख रहे हैं कि जिस संविधान की वजह से इस शख्स को पुलिस की नौकरी मिली, उसी संविधान के निर्माता बाबा साहब आंबेडकर के खिलाफ अपशब्द बोलने के चलते इस पर एक्शन लिया जाना चाहिए.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि इस वीडियो का आंबेडकर से कोई संबंध नहीं है. ये यूपी के अलीगढ़ का वीडियो है, जहां मई 2025 में गांववालों ने लोगों को धमका रहे दो फर्जी पुलिसकर्मियों को पकड़ लिया था.
कैसे पता की सच्चाई?
रिवर्स सर्च और कुछ कीवर्ड्स की मदद से खोजने पर हमें इस घटना के बारे में दैनिक भास्कर की 16 मई, 2025 की एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो का एक हिस्सा देखा जा सकता है.
खबर के मुताबिक, ये अलीगढ़ के दादों क्षेत्र के गांव नगला खांजी का मामला था. यहां प्रमोद और अरुण नाम के दो शख्स फर्जी पुलिस कांस्टेबल बनकर एक परिवार को प्रताड़ित कर रहे थे. दोनों आरोपी, पीड़ित जयलाल और उसके परिवार को किसी मामले में फंसाकर जेल भेजने की धमकी देते थे. उन्होंने पीड़ित की मां से बीस हजार रुपए भी ऐंठ लिए थे.
एक दिन जब दोनों जयलाल के घर आए तो ग्रामीणों को उनकी गतिविधियों पर शक हुआ. पूछताछ करने पर दोनों भागने लगे लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें पकड़ लिया. जब पुलिस आई तो पता चला कि दोनों व्यक्ति असली पुलिसकर्मी नहीं थे. उन्होंने सिर्फ पुलिस की वर्दी पहन रखी थी. तब, पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया था.
एबीपी न्यूज और न्यूज 18 ने भी इस घटना को लेकर उस वक्त खबरें छापी थीं. अलीगढ़ पुलिस ने भी मामले के बारे में एक्स पर जानकारी दी थी.
हमनें दादों थाना प्रभारी सुनील तोमर से भी बात की. उन्होंने भी यही बताया कि इस मामले का आंबेडकर से कोई संबंध नहीं है.