एक पुलिस छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक अवस्था में पाए गए युवक और युवतियों का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल है. कुछ लोगों की मानें तो ये छापेमारी हाल ही में मध्य प्रदेश के एक हुक्का बार में हुई थी. साथ ही, बताया जा रहा है कि पुलिस ने इस घटना में 15 हिन्दू लड़कियों और 15 मुस्लिम लड़कों को गिरफ्तार किया था.
इस वीडियो को फेसबुक पर शेयर करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा, "मध्यप्रदेश के हुक्का बार में कल पड़ी रेड में कुल 30 पकड़ाए,15 लड़के 15 लड़किया. लड़कियां अच्छे खासे ऊंचे घरों की थीं. खास बात इसमें ये कि सभी 15 लड़के मुस्लिम थे, और सभी लड़कियां हिंदू घरों से थीं. एक भी मुस्लिम लड़की नहीं थी. यदि किसी को इसपर विचार करना हो तो बैलेंसड दिमाग से विचार करे. वरना जो हो रहा है वो तो हो ही रहा है फिर."
ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि न तो ये घटना मध्य प्रदेश की है और न ही इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल है. दरअसल, ये आगरा के एक कैफे में हुई छापेमारी का पुराना वीडियो है, जिसमें मौजूद सभी लोग हिन्दू थे. साथ ही, इस मामले में कोई गिरफ्तारी भी नहीं हुई थी.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें इस घटना से जुड़ी एक न्यूज रिपोर्ट मिली. ये रिपोर्ट 11 अगस्त, 2022 को छपी थी. इतना तो यहीं साफ हो जाता है कि ये कोई हालिया घटना नहीं है.
इसके बाद हमें इस घटना से जुड़ी और भी कई रिपोर्ट्स मिलीं. 'दैनिक भास्कर' की खबर के मुताबिक 27 जुलाई को आगरा के संजय प्लेस इलाके में मौजूद एक कैफे में पुलिस ने छापेमारी की थी. कैफे के बेसमेंट में मौजूद केबिन की चेकिंग के दौरान कुछ युवक-युवतियां आपत्तिजनक अवस्था में मिले थे. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने पूरी घटना का वीडियो बनाया था, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
'आज तक' की रिपोर्ट के मुताबिक वीडियो लीक होने के बाद आगरा पुलिस के एक हेड कांस्टेबल और दो कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया था.
दरअसल, साल 2022 में सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इस वीडियो को बीकानेर, राजस्थान का बताकर शेयर किया था. उस वक्त भी हमने इस वीडियो की जांच की थी. मामले को लेकर हमने आगरा के थाना हरी पर्वत में उस वक्त बतौर एएसपी तैनात सत्यनारायण से बात की थी. उन्होंने इस बात की पुष्टि की थी कि इस छापेमारी में मिले सभी युवक-युवतियां हिन्दू थे. साथ ही, बालिग होने के कारण किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया था.
साफ है, आगरा में साल 2022 में हुई एक पुलिस छापेमारी को सांप्रदायिक रंग देते हुए, इसे एमपी की एक हालिया घटना बताकर शेयर किया जा रहा है.