
भारत में अगर प्रधानमंत्री टैक्सी से संसद भवन पहुंचे तो इस बात की चर्चा हर तरफ होगी. इसी को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एक तस्वीर वायरल हो रही है. तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मनमोहन सिंह संसद भवन टैक्सी से पहुंचे थे. तस्वीर में मनमोहन सिंह को एक काली-पीली टैक्सी से उतरते हुए देखा जा सकता है. पोस्ट को शेयर करते हुए लोग मनमोहन सिंह की सादगी को लेकर उनकी तारीफ कर रहे हैं.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. ये तस्वीर 1997 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी के घर के बाहर ली गई थी. उस समय मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री नहीं थे.
इस तस्वीर को शेयर करते हुए एक फेसबुक यूजर ने कैप्शन में लिखा है "ऐसी सादगी को दिल से सलाम, मोदी के बारे में क्या कहेंगे आप". पोस्ट को ट्विटर पर भी शेयर किया गया है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
कैसे पता की सच्चाई?
तस्वीर को रिवर्स सर्च करने से हमें ये तस्वीर 'आउटलुक' की फोटो गैलरी में मिली. यहां दी गई जानकारी की अनुसार तस्वीर को 1997 में दिल्ली में लिया गया था जब मनमोहन कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग के लिए सीताराम केसरी के घर पहुंचे थे. सीताराम केसरी उस समय कांग्रेस अध्यक्ष थे. 1997 में मनमोहन सिंह राज्यसभा सांसद थे. इसके पहले भी वे वित्तमंत्री और आरबीआई गवर्नर जैसे कई अहम पदों पर रह चुके थे.

सालों पहले कुछ पत्रकारों ने भी ट्विटर पर इस तस्वीर को 1997 का बताया था. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री 2004 में बने थे और ये तस्वीर इससे कई साल पहले की है.
1997 ManmohanSingh went to party leaders office in Taxi pic.twitter.com/y7g9614bpH
— QueenBee (@VaidehiTaman) June 1, 2013
साथ ही, ये बात भी गौर करने वाली है कि प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद से ही व्यक्ति के पास एसपीजी सुरक्षा आ जाती है. ऐसे में किसी प्रधानमंत्री का टैक्सी से संसद भवन पहुंचना मुश्किल है. हालांकि, मनमोहन सिंह की सादगी को लेकर 2009 में एक खबर काफी चर्चा में आई थी.
प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह जनवरी 2009 में अपने ड्राइविंग लाइसेंस को रिन्यू करवाने के लिए कार चलाकर खुद आरटीओ ऑफिस पहुंच गए थे. मनमोहन के साथ उनकी पत्नी भी मौजूद थीं. लाइसेंस को रिन्यू करवाने की पूरी कार्रवाई मनमोहन सिंह ने ही की थी. इस बात को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री को सराहा गया था कि किसी और से ये काम करवाने के बजाये मनमोहन सिंह खुद आरटीओ ऑफिस गए और लाइसेंस रिन्यू कराया.