कुछ समय पहले ग्लोबल वार्मिंग कम करने की एक योजना पर खूब बवाल हुआ. वैज्ञानिक मान रहे थे कि अगर सूरज और धरती के वातावरण के बीच धुएं या भाप की एक परत बना दी जाए तो सूरज की रोशनी और गर्मी नीचे तक पहुंच ही नहीं सकेगी. इसके लिए वे धुएं से भरे गुब्बारों को कुछ देशों के आसमान पर फोड़ने भी लगे. हालांकि एक्सपर्ट्स का बड़ा धड़ा, और देश भी इसके खिलाफ हो गए.
सफेद रंग से घटाएंगे गर्मी
उनका कहना था कि गर्मी कम करने के प्राकृतिक तरीके अपनाने की बजाए, हम एक और गलती करने जा रहे हैं. इससे गर्मी भले कम हो जाए, लेकिन कोई दूसरी मुसीबत आ सकती है. अब इसी तर्ज पर एक नया उपाय सोचा जा रहा है. वैज्ञानिक सोच रहे हैं कि अगर धरती का एक बड़ा हिस्सा, घरों, दफ्तरों की छतें सफेद रंग से पोत दी जाएं तो गर्मी घट जाएगी.
खोजा गया सबसे सफेद रंग
दो साल पहले अमेरिका की पर्ड्यू यूनिवर्सिटी ने इतना सफेद रंग बनाने का दावा किया जिसे लगाने पर गर्म सतह ठंडी हो जाए. एसीएस अप्लाईड मटेरियल्स एंड इंटरफेसेज नामक जर्नल में छपी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि लगभग सारे रंग सरफेस को गर्म करते हैं, जबकि वाइटेस्ट वाइट इसे ठंडा बनाता है.

तेज धूप में जब सारी सतहें गर्म हो जाती हैं, ये पेंट छूने पर ठंडा लगता है. यहां तक कि अगर इसे छत पर लगाया जाए तो गर्मी में भी घर के भीतर 10 किलोवाट की कूलिंग मिलेगी. ये ज्यादातर एयर कंडीशनर और कूलर से कहीं ज्यादा ठंडा है. एक्सपर्ट्स ने इस पेंट को वाइटेस्ट वाइट यानी सबसे सफेद रंग कहा.
रोशनी हो जाती है परावर्तित
दावा किया गया कि ये इतना सफेद है कि अपने पर पड़ने वाली करीब 98% रोशनी को परावर्तित कर देता है. इसके साथ ही ग्लोबल वार्मिंग पर काम कर रहे साइंटिस्ट्स को नया आइडिया मिला. रिफ्लेक्टर की तरह काम करने वाले पेंट को छतों पर पोतने का ताकि गर्मी कम हो सके. लेकिन इसे धरती के 1 से 2 % भाग पर लगाना होगा.
जैसे ही इसपर सूरज की रोशनी पड़ेगी, वो रिफ्लेक्ट होकर वापस ऊपर की तरफ लौट जाएगी. बाउंस बैक होने वाली ये गर्मी अंतरिक्ष के लिए बिल्कुल खतरनाक नहीं, लेकिन धरती पर इसकी वजह से तबाही मची हुई है.

1 से 2 प्रतिशत यानी कितनी बड़ी धरती!
पूरी दुनिया का सरफेस एरिया करीब 197 मिलियन स्क्वायर मील है. इसमें भी ज्यादातर हिस्सा पानी है. तो इस तरह से अगर हम 2 से 4 मिलियन स्क्वायर मील भी कवर कर सकें तो काम बन जाएगा. ये उतना ही है, जितना अमेरिका. मतलब अगर अमेरिका को इस कोने से उस कोने तक सफेद पेंट करना होगा. या फिर पूरी दुनिया में हरेक देश के थोड़े-थोड़े हिस्से को वाइट कर दिया जाए.
इसमें कई प्रैक्टिकल दिक्कतें हैं
सबसे पहली समस्या तो ये है कि किसी भी देश को इस बात के लिए कैसे तैयार किया जाए. फिलहाल जैसे हालात हैं, उसमें ज्यादातर देश आपसी भरोसा खो चुके. वे इसे कंस्पिरेसी मानते हुए प्लान को खारिज कर सकते हैं.
दूसरी दिक्कत ये है कि धरती के इतने बड़े भाग पर एक रंग लगाने के लिए उसकी बड़ी भारी मात्रा चाहिए होगा. एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ 1 प्रतिशत हिस्से पर रंगने के लिए भी करीब 140 बिलियन गैलन वाइट पेंट की जरूरत होगी. ये कितने समय में बनेगा, और इसकी लागत क्या होगी, साथ ही इसका खर्च कौन से देश उठाएंगे, ये कुछ बातें हैं, जो इसके रास्ते में रोड़ा हैं.
सफेद रंग लगाकर गर्मी घटाने का कंसेप्ट नया नहीं
सफेद कारें भी इसलिए ही ज्यादा लोकप्रिय हैं क्योंकि वे गर्मियों में कम तपती हैं. पिछले साल सबसे सफेद रंग के बारे में दावा किया गया कि इसे लगाने से गाड़ी का टेंपरेचर 42 डिग्री फैरनहाइट तक कम हो सकता है. इससे एयर कंडीशनर की जरूरत कम होती है और ईंधन भी बच सकता है.