
भारतीय राजनीति में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के कल्याण की चर्चा अक्सर होती है. बीजेपी और कांग्रेस, दोनों पार्टियों के नेता पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों के कल्याण का दावा करते हैं, लेकिन इनकी राजनीति इन दावों से मेल नहीं खाती.
एक ओर, बीजेपी सबका साथ-सबका विकास पर जोर देती है. दूसरी ओर, कांग्रेस सामाजिक न्याय और अल्पसंख्यक अधिकारों की बात करती है. लेकिन दोनों ही पार्टियां खुद को अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यकों का हितैशी बताती हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमरोहा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए विपक्ष पर सामाजिक न्याय के नाम पर पिछड़े समुदायों को धोखा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि केवल बीजेपी ही ज्योतिबा फुले, बीआर आंबेडकर और चौधरी चरण सिंह जैसे समाज सुधारकों का सपना पूरा कर सकती है.
जबकि, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय को अपने जीवन का मिशन बताते हुए सत्ता में आने पर जातिगत जनगणना करवाने का वादा किया. उनका कहना है कि उन्हें जाति में नहीं, बल्कि न्याय में दिलचस्पी है.
लेकिन क्या जिस तरह के दावे पार्टियां करती हैं या कर रही हैं, वैसा उनके टिकट बंटवारे में भी नजर आता है? उम्मीदवारों का विश्लेषण करने पर साफ हो जाता है कि बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही अपने वादों को पूरी तरह से पूरा करने में असफल रहे हैं. बीजेपी ने ओबीसी और एससी समुदाय को टिकट बांटने में कांग्रेस से थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है. जबकि, कांग्रेस एसटी और अल्पसंख्यकों को टिकट बांटने में आगे रही है.

2024 के लोकसभा के लिए बीजेपी अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 432 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी है. इन उम्मीदवारों के विश्लेषण से पता चलता है कि बीजेपी के 186 यानी 43% उम्मीदवार सामान्य वर्ग से हैं. 117 उम्मीदवार (27%) ओबीसी समुदाय से जुड़े हैं. 75 यानी 17% उम्मीदवार एससी और 44 यानी 10% एसटी समुदाय से हैं. महज 10% यानी दो उम्मीदवार अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं.
वहीं, कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों में एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय का अच्छा-खासा प्रतिनिधित्व है. कांग्रेस अब तक 294 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है. इनमें से 106 यानी 36% सामान्य वर्ग से हैं. ओबीसी समुदाय के 73 यानी 25% उम्मीदवार हैं. वहीं एससी वर्ग से 47 (16) और एसटी से 41 (14%) उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समुदाय के 27 उम्मीदवारों को टिकट बांटे है, जो 9% है.