दशहरा के दिन बौद्ध धर्म दीक्षा समारोह का आयोजन हुआ था. आम आदमी पार्टी के मंत्री रहे राजेंद्र पाल की मौजूदगी में हिंदू देवी-देवताओं को न मानने की शपथ दिलाई गई थी. इस पूरे मामले पर अब रामायण फेम अरुण गोविल ने अपनी राय पेश की है. आइये जानते हैं कि राजेंद्र प्रसाद मामले में उनका क्या कहना है.
राजेंद्र प्रसाद पर अरुण गोविल की राय
अरुण गोविल अपने यूट्यूब चैनल के जरिये अपने विचार लोगों के सामने रखते रहते हैं. अब उन्होंने राजेंद्र पाल को लेकर एक वीडियो शेयर किया है. वो कहते हैं, 'इस घटना ने मुझे ये कहने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर श्रीराम-कृष्ण की धरती पर ये हो क्या रहा है. शपथ दिलाई जा रही है कि हम ब्राह्म, विष्ण, महेश, हनुमान और राम को नहीं मानेंगे. मां दुर्गा, सरस्वती, काली की पूजा नहीं करेंगे. शपथ दिलाने वाले राजनीतिक-धार्मिक स्वार्थ के लिये ये कर रहे हैं, पर शपथ लेने वाले क्यों नहीं सोचते कि वो ये क्यों कर रहे हैं. इसका हर किसी को विरोध करना चाहिये.'
आगे उन्होंने कहा 'जो लोग श्रीराम को भगवान ना मानने की शपथ ले रहे हैं, क्या उन्हें पता है कि वो कौन हैं. भगवान के बारे में बताते हुए अरुण गोविल ने कहा कि उन्होंने कभी जाति-धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं किया. ना ही उन्हें कभी सत्ता की लालसा रही. आगे भगवान कृष्ण का जिक्र करते हुए अरुण गोविल कहते हैं, जिस भगवद गीता की कसम खाई जाती है, उसी गीता का उपदेश देने वाला का अपमान करके शपथ लेना, मानवता के लिये कितना घातक है. कृष्ण का विरोध करने वालों को एक बार भगवद गीता पढ़नी चाहिए. ताकि उन्हें पता चला कि ये वो धरती पर सिर्फ मानवता के लिये आये थे.'
बुराई के खिलाफ हैं अरुण गोविल
अरुण गोविल का कहना है कि किसी भी व्यक्ति या चरित्र का विरोध करने से पहले उसे बारे में जान लेना चाहिए. स्वार्थ के चक्कर में व्यक्ति भूल गया है कि वो सनानत धर्म का विरोध करके अपनी जड़ें काट रहा है. रामायण फेम अरुण गोविल ने इस वीडियो के माध्यम से साफ कर दिया है कि उनका मकसद किसी को भड़काना नहीं है. वो सिर्फ बुराई का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि अगर बुराई का विरोध ना हो, तो वो समाज के लिये घातक हो सकती है.
जानकारी के लिये बता दें कि आम आदमी पार्टी के मंत्री रहे राजेंद्र पाल पर हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा था. इसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.