अंजुम फकीह टीवी टाउन की टैलेंटेड और फेमस एक्ट्रेस हैं. उन्हें 'कुंडली भाग्य' शो से घर-घर में तगड़ी पहचान मिली है. मगर कुछ समय से वो लाइमलाइट से दूर हैं. अंजुम किसी प्रोजेक्ट में भी दिखाई नहीं दीं. अब एक्ट्रेस ने अपना दर्द बयां किया है और शोबिज से दूर होने की वजह बताई है.
2 साल से कहां गायब थीं अंजुम फकीह?
ईटाइम्स संग बातचीत में अंजुम फकीह ने बताया कि आखिर इतने लंबे समय से वो कहां गायब हैं. एक्ट्रेस बोलीं- सच ये है कि पिछले 2 सालों से मेरे पास कोई काम ही नहीं है. एक दिन आप सबके सामने होते हो और फिर दूसरे दिन गायब हो जाते हो. मुझे नहीं पता था कि पैप्स को कैसे फेस करूं या फिर उनके आसान सवालों के जवाब कैसे दूं?
पैप्स मुझसे पूछते थे- आपका अगला प्रोजेक्ट कौन सा है? मेरे पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं था. मुझे ये सोचकर डर लगता था कि मुझे जज किया जाएगा. इसलिए मैंने चुप रहने का फैसला किया.
अंजुम को क्या हुआ था?
अंजुम फकीह ने ये भी माना कि वो लंबे समय से ठीक नहीं थीं. एक्ट्रेस बोलीं- मैं खोई हुई महसूस कर रही थी. डिस्कनेक्टेड थी, मेरे दिल पर एक बोझ था. मैं स्ट्रगल्स को हाईलाइट् नहीं चाहती, लेकिन मैं ये कहने को जरूर नॉर्मेलाइज करना चाहती हूं कि 'मैं ठीक फील नहीं कर रही हूं'. जब आप ये एक्सेप्ट करते हैं कि आप ठीक नहीं है, तभी से ही आपकी हीलिंग शुरू हो जाती है. मैं भी हर दिन यही कर रही हूं. अब आखिरकार मुझे फिर से थोड़ी रोशनी दिखनी शुरू हुई है.
कब से डिप्रेशन से जूझ रहीं अंजुम?
अंजुम ने बताया कि जब वो 19 साल की थीं, तभी से डिप्रेशन से जूझ रही हैं. एक्ट्रेस बोलीं- उस समय मैं इस चीज को पूरी तरह से समझ नहीं पाती थी. बस मुझे इतना पता था कि कुछ तो ठीक नहीं है, बुझा-बुझा सा है और फिर मुझे डिप्रेशन हो गया. तभी से ये एक लंबी जर्नी रही है.
डिप्रेशन के बारे में बात करते हुए अंजुम आगे बोलीं- मैं उठती थी और मुझे बहुत भारीपन महसूस होता था. ये एहसास आप किसी को समझा नहीं सकते. हालांकि, मैंने डाक्टर्स का सपोर्ट लिया, मेडिकेशन ली. दोस्तों का सपोर्ट मिला. मैंने सीखा कि मुश्किल दिनों में खुद के साथ नम्रता के साथ कैसे रहना है.
'मैं अब ये सबकुछ इसलिए नहीं बता रही हूं, क्योंकि मुझे सिंपैथी चाहिए, बल्कि मुझे लगता है कि इसे नॉर्मलाइज करना जरूरी है. लोगों को ये पता लगता जरूरी है कि मेंटल हेल्थ वाकई में अहम होती है और ये आपको कमजोर नहीं बनाती, बल्कि स्ट्रॉन्ग ही बनाती है. अगर मेरी स्टोरी सुनकर किसी एक इंसान को भी हिम्मत मिलती है, तो मुझे लगता है कि मेरा ये बताने का मकसद पूरा हुआ.'