फिल्म- फ्रॉड सैंया
कलाकार- अरशद वारसी, सौरभ शुक्ला, सारा लॉरेन, फ्लोरा सैनी, निवेदिता तिवारी अन्य
निर्देशक- सौरभ श्रीवास्तव
रेटिंग- 1.5
2013 में आई कोर्ट रूम ड्रामा मूवी जॉली एलएलबी में अरशद वारसी और सौरभ शुक्ला की जोड़ी ने दर्शकों को खूब एंटरटेन किया था. ये जोड़ी फिर से कॉमेडी का डोज लेकर फ्रॉड सैंया में लौटी है. लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर उनसे शादी करने की इस फ्रॉडगिरी पर कई फिल्में बन चुकी हैं. ऐसे में डायरेक्टर के लिए ये चुनौती रही होगी कि कैसे वे इस घिसे पिटे कंटेंट को दर्शकों के सामने नए सिरे से परोस सके. इसमें वे थोड़े बहुत सफल भी हुए हैं. जानते हैं कॉमिक रोल के लिए मशहूर अरशद वारसी और सौरभ पटेल से सजी ये फिल्म कैसी बनी है.
क्या है फिल्म की कहानी?
मूवी की कहानी भोला प्रसाद त्रिपाठी (अरशद वारसी) की है, जो अपने नाम के बिल्कुल उलट है. उसका काम पैसे वाली लड़की को अपने जाल में फांसकर शादी करना है. उसकी जिंदगी का एक ही मकसद है, सिंदूर भरो और रुपये कमाओ. बेरोजगार भोला अपनी बीवियों को बेवकूफ बनाकर उनसे पैंसे मांगता है और ऐश करता है. उसकी 1,2 नहीं बल्कि 12 बीवियां हैं. भोला का ये घर-घर का गेम बढ़िया चल रहा था, लेकिन तभी उसकी जिंदगी में शनि बनकर मुरारी (सौरभ शुक्ला) की एंट्री होती है. जो कि भोला की ही एक बीवी का रिश्तेदार है और डिटेक्टिव भी. मुरारी को भोला की फ्रॉडगिरी पता चल जाती है. वो उसका पर्दाफाश करने की कोशिश करता है लेकिन खुद ही फंस जाता है. इसके बाद मुरारी भोला को दोस्त बनाकर उसे सबक सिखाने की ठानता है. अब कैसे मुरारी दोस्ती की आड़ में भोला के कच्चे चिट्ठे खोलता है? कैसे भोला की सारी पत्नियों के सामने सच आता है, ये सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
एक्टिंग
सौरभ शुक्ला और अरशद वारसी इस साधारण सी कहानी की जान हैं. दोनों एक्टर्स ने अच्छा काम किया है. सौरभ शुक्ला की कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त है. कुछ एक सीन्स में वे अरशद वारसी पर भारी पड़े हैं. सारा लॉरेन खूबसूरत लगी हैं. उनका काम अच्छा है. अरशद वारसी-सौरभ शुक्ला के अलावा बाकी कलाकार बस आते और चले जाते हैं.
क्यों देखनी चाहिए फिल्म
अरशद वारसी और सौरभ पटेल जैसे मंझे हुए कलाकारों की एक्टिंग के लिए फिल्म देखी जा सकती है. दोनों के बीच फिल्माए गए कई सीन्स काफी रोचक और फनी हैं. फिल्म की सबसे अच्छी बात ये है कि सीधी सपाट कहानी होने के बावजूद ये दर्शकों को काफी हद तक बांधे रखने में कामयाब रहती है. मूवी का क्लाइमेक्स सरप्राइजिंग है.
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क्यों ना देखें फिल्म
कहानी में कॉमेडी हल्की फुल्की है. अरशद वारसी और सौरभ पटेल जैसे कॉमेडी के उस्ताद एक्टर्स का मेकर्स अच्छे से फायदा नहीं उठा पाए. कहानी और एंटरटेनिंग हो सकती थी. कॉमिक पंच और डायलॉग्स की कमी साफ अखरती है. मेकर्स ने कॉमेडी में कुछ नया ट्राई नहीं किया. वहीं पुराने घिसे पिटे फंडे और जोक्स का सहारा लिया है. छम्मा छम्मा रीमेक के अलावा किसी गाने में दम नहीं है. इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्मों में से अगर लाइट कॉमेडी मूवी ट्राई करना चाहें तो ही ये फिल्म देखें. वरना हॉल में पैसा खर्च कर ये फिल्म देखने जाएंगे तो निराश हो सकते हैं.