टुनटुन को बॉलीवुड की एक ऐसी अभिनेत्री माना जाता है जिसे देखते ही उदास से उदास चेहरे पर मुस्कान दौड़ जाए. उनका असली नाम उमा देवी खत्री था. उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में 11 जुलाई को जन्मीं उमा देवी ने बचपन में मां-बाप को खो दिया था. चाचा के पास पलीं उमा देवी बॉलीवुड में गायिका बनना चाहती थीं और एक सहेली की मदद से मुंबई तक पहुंच भी गईं.
रेडियो सुनकर रियाज करने वालीं उमा देवी की मुंबई में मुलाकात नौशाद से हुई. उनके सामने वह जिद पर अड़ गई थीं कि अगर उनको गाने का मौका नहीं मिला तो वह उनके घर से कूद जाएंगी. इसके बाद हमें मिला सदाबहार हिट गाना - अफसाना लिख रही हूं... . इस गाने को उमा देवी ने गाया है.
इसके बाद गायकी में ज्यादा महिलाओं के आने पर नौशाद ने उनको अभिनय की ओर मुड़ने को कहा. उमा देवी का मन तो था लेकिन पर्दे पर वह दिलीप कुमार के साथ आना चाहती थीं. 1950 में फिल्म बाबुल में उन्हें ये मौका मिला.
इस फिल्म के सीन में दिलीप कुमार को उमा देवी पर गिरना होता है. बस इसी के बाद से ही दिलीप कुमार ने उमा देवी को टुन टुन नाम दिया. साथ ही वह भारत की पहली महिला कॉमेडियन भी बन गईं.
उन्होंने अपने करीब 50 साल के करियर में तमाम सितारों के साथ काम किया. यही नहीं, उनके लिए खासतौर पर रोल लिखे जाते थे.
90 के दशक तक टुनटुन पर्दे से गायब हो गईं और 24 नवंबर 2003 को इस दुनिया से अलविदा कह गईं.