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Colonelganj Assembly Seat: गोस्वामी तुलसीदास के क्षेत्र में फिर से कमल खिला पाएंगे लल्ला भैया?

करनैलगंज विधानसभा सीट गोंडा जिले में आती है. करनैलगंज विधानसभा सीट से इस समय बीजेपी के अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया विधायक हैं. अजय प्रताप सिंह छठी बार विधायक हैं.

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यूपी Assembly Election 2022 करनैलगंज विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 करनैलगंज विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • छह बार विधायक रहे हैं अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया
  • अंग्रेजों के जमाने से रेल रूट से जुड़ा है करनैलगंज कस्बा 

यूपी की राजधानी लखनऊ से 85 किमी की दूरी पर गोंडा जिले में सरयू नदी के किनारे स्थित है कस्बा करनैलगंज. करनैलगंज शहरी इलाके को कवर करने वाले 298, करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र में ही रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली आती है तो क्रांति की अद्भुत गाथा भी. करनैलगंज ने साल 1990 में भयानक दंगे का दर्द भी झेला जिसके बाद करीब एक महीने तक कर्फ्यू लगा रहा.

आध्यात्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण सकरौरा घाट भी करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र में ही पड़ता है. सकरौरा घाट में ही अगस्त मुनि का आश्रम था जहां वन गमन के दौरान भगवान राम ने रात्रि विश्राम किया था. इसी विधानसभा क्षेत्र में त्रिमुहानी घाट संगम स्थल पर गोस्वामी तुलसीदास की हस्तलिखित बालकाण्ड की पाण्डुलिपि गुरु नरहरि दास के आश्रम में रखी है. त्रिमुहानी घाट संगम पर एक महीने का कल्पवास श्रद्धालु करते हैं घाघरा और टेढ़ी नदी के बीच बसा करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र बाढ़ के प्रकोप से भी जूझता रहता है.

करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र में मुख्य रूप से अवधी और खड़ी बोली का उपयोग होता है. यहां अंग्रेजों के जमाने से रेलवे स्टेशन है जो दिल्ली गोरखपुर रेल मार्ग पर स्थित है. नगर में कर्नल ब्यालू की कब्र भी मौजूद है जिसे अब पार्क के रूप में विकसित कर दिया गया है. यहां अंग्रेजों की छावनी, तोपखाना (अब करनैलगंज कोतवाली) था वहीं अंग्रेजों के जमाने में सैनिकों के परेड ग्राउंड पर ही परेड मोहल्ला बसा है. बरखण्डी नाथ और भैरव नाथ का मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. 

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सामाजिक तानाबाना

करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र में 149 ग्रामसभा, करनैलगंज नगर पालिका परिषद के 25 और परसपुर नगर पंचायत के 25 वार्ड आते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र करीब 5 लाख 62  हजार लोगों की आबादी है जिसमें महिलाओं की भागीदारी करीब 2 लाख 67 हजार की है. करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र में करीब 3 लाख 19 हजार मतदाता हैं जिसमें महिलाओं की तादाद करीब 1 लाख 46 हजार है. करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र क्षत्रिय बाहुल्य है. एक अनुमान के मुताबिक करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र में क्षत्रिय के बाद ब्राह्मण, मुस्लिम, एससी और वैश्य वोटर्स का नंबर आता है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

आजादी के बाद से अबतक मतदाताओं ने सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को विधानसभा में पहुंच जनता की बात रखने का अवसर दिया लेकिन क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं हो सका. साल 1952 के विधानसभा चुनाव में जनता ने हिंदू महासभा के ज्वाला प्रसाद को जिताया तो निर्दलीय मदन मोहन सिंह 1967 और 1989 में निर्दलीय लल्ला भैया को भी विधानसभा में भेजा. करनैलगंज के मतदाताओं की राजनैतिक चेतना हमेशा जागृत रही. 1957 में कांग्रेस की सरस्वती देवी ने जीत दर्ज की तो 1962 में सोशलिस्ट पार्टी  ने अपना दम  दिखाया. 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के गिरजा प्रसाद, 1969 में सोशलिस्ट पार्टी के भगेलू सिंह, 1974 में कांग्रेस के रघुराज सिंह, 1977 में जनता पार्टी के त्रिवेणी सिंह विजयी रहे.

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साल 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के उमेश्वर प्रसाद सिंह विधायक निर्वाचित हुए. साल 1989 में निर्दलीय जीते अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया बाद में भारती जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए और साल 1991, 1993 और 1996 में लगातार विधानसभा चुनाव जीते. 2002 में बसपा के योगेश प्रताप सिंह ने लल्ला भैया को मात दी थी. साल 2008 में इस सीट पर उपचुनाव हुए तो लल्ला भैया की बहन ब्रिज कुंवरी ने बसपा के टिकट पर जीत का परचम लहराया. 2012 में योगेश प्रताप सिंह ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की तो वहीं साल 2017 में भाजपा के टिकट पर अजय प्रताप सिंह फिर विजयी रहे.

2017 का जनादेश

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में करनैलगंज सीट से कुल 14 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. इस चुनाव में भाजपा के अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया को 82867 वोट मिले. दूसरे स्थान पर रहे सपा के योगेश प्रताप सिंह 54462 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. बसपा के संतोष तिवारी को 33241 मत हासिल हुए थे. त्रिकोणीय संघर्ष में अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया विजयी रहे थे. 
  
विधायक का रिपोर्ट कार्ड

अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया राजघराने के चिराग हैं. बरगदी और शाहपुर इस्टेट के राजकुंवर लाल भैया का जन्म शाहपुर बरगदी में हुआ था. 12वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त करने के कुछ साल बाद ये करनैलगंज विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. लल्ला भैया को करनैलगंज की जनता ने छह बार विधानसभा भेजा. लल्ला भैया अपने कार्यकाल के दौरान विकास के कई कार्य कराने का दावा करते हैं.

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विविध

करनैलगंज रेलवे स्टेशन से लगभग सभी बड़े शहरों के लिए ट्रेन है. रेल मार्ग से सीधे जुड़ाव के कारण करनैलगंज कभी जूट, मछली, सोने-चांदी और गल्ले के व्यवसाय का बड़ा केंद्र था. सरयू नदी से निकली लाल रोहू मछली का भी कारोबार बड़े स्तर पर होता था. 80 के दशक के बाद जूट और मछली का व्यवसाय करीब-करीब ठप हो गया. इस इलाके की ज्यादातर आबादी कृषि पर निर्भर है जो मुख्य रूप से गन्ने की होती है लेकिन चीनी मिल से अपनी उपज का भुगतान पाने के लिए भी किसान हमेशा हलकान ही रहते हैं. राजनीतिक इच्छा शक्ति के आभाव में यहां कोई भी उद्योग पनप नहीं पाया जिसके चलते यहां के जीवन स्तर में भी कोई बदलाव नहीं दिखता. मजबूरन यहां के हजारों युवा दिल्ली, मुंबई और सऊदी अरब का रुख कर रहे हैं.

 

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