चुनावी सभा में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को थप्पड़ पड़ा है. हार्दिक प्रचार कर रहे थे कि अनहोनी हो गई. बाद में हार्दिक के समर्थकों ने हमलावर को पकड़ा और पिटाई भी की. हार्दिक ने कहा कि हमले के पीछे बीजेपी का हाथ है और उन्हें जान से मारने की कोशिश हो रही है. इससे पहले गुरुवार को बीजेपी प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव पर जूता फेंका गया था. मंच पर नेताओं पर जूता फेंकने और चांटा मारने की घटना नई नहीं है.
नेताओं पर जूता फेंके जाना का सिलसिला पुराना है. अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश से सेकर सद्दाम हुसैन और केजरीवाल से लेकर चिदंबरम और गडकरी तक पर जूते उछाले जा चुके हैं. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को एक ऑटो चालक थप्पड़ भी मार चुका है. गुरूवार को बीजेपी हेडक्वार्टर में पार्टी के प्रवक्ता और सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव पर जूता उछाला गया था.
हिंदुस्तान की सियासत के मौजूदा दौर में जूता और चांटा मुखालफत का दूसरा नाम बन चुका हैं. 7 अप्रैल 2009 को तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम, 26 अप्रैल 2011 को सुरेश कलमाड़ी, 14 अप्रैल 2016 को कन्हैया कुमार, 01 जनवरी 2017 को अरविंद केजरीवाल पर जूता फेंका गया. जूतों के मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की किस्मत सबसे खराब रही है. इन पर एक नहीं दो दो बार जूते चल चुके हैं. कालिख भी फेंकी गई और एक ऑटो ड्राइवर ने तो इन्हें थप्पड़ ही मार दिया था. इसके अलावा केजरीवाल के पार्टी के ही नेता संजय सिंह को एक महिला कार्यकर्ता ने टिकट बेचने के आरोप में थप्पड़ मार दिया था.
अब बात गुरुवार को जीवीएल पर फेंके गए जूते की. दिल्ली में बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस थी. जीवीएल और भूपेंद्र यादव साध्वी प्रज्ञा पर बीजेपी हेडक्वॉर्टर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इस दौरान कानपुर के रहने वाले शक्ति भार्गव ने जीवीएल पर जूता फेंका. जीवीएल बाल-बाल बच गए. जूता कांड की घटना के बाद बीजेपी प्रवक्ता नरसिम्हा राव ने तुंरत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उन्होंने अपनी बात जारी रखी.
आज यानी शुक्रवार को गुजरात के सुरेंद्र नगर के बढवान में हार्दिक पटेल एक रैली कर रहे थे. वह मंच पर खड़े होकर भाषण दे रहे थे, तभी एक शख्स आया और उसने कुछ कहते हुए हार्दिक पटेल को थप्पड़ जड़ दिया. इससे पहले कि वह दूसरा थप्पड़ हार्दिक पटेल को जड़ पाता, मंच पर मौजूद समर्थकों ने उसे दबोच लिया और उसकी जमकर पिटाई की.
नेताओं पर जूता उछालने और थप्पड़ मारने का सिलसिला जारी है. हालांकि, केवल नेताओं को ही नहीं थप्पड़ मारे गए हैं. कई बार नेताओं ने भी सार्वजनिक मंचों पर कार्यकर्ताओं, अधिकारियों, कर्मचारियों को भी थप्पड़ मारा है.
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