
बिहार की मांझी विधानसभा सीट से लेफ्ट के सत्येंद्र यादव ने भारी वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. वहीं, इस सीट पर दूसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार राणा प्रताप सिंह रहे. सत्येंद्र यादव को 58 हजार से ज्यादा वोट हासिल हुए. वहीं निर्दलीय राणा प्रताप सिंह को करीब 34 हजार वोट प्राप्त हुए. इनके अलावा जेडीयू की माधवी कुमारी तीसरे नंबर पर रहीं.
इस बार के मुख्य उम्मीदवारों को मिले वोट

बिहार की मांझी विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 52.24% मतदान हुआ. इस सीट से कांग्रेस नेता विजय शंकर दुबे ने 2015 में जीत दर्ज की थी और विधायक बने थे. दरअसल, कांग्रेस पिछली बार जेडीयू-आरजेडी महागठबंधन का हिस्सा थी और ये सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. यही कारण है कि जेडीयू का गढ़ माने जाने वाले मांझी में कांग्रेस को भी नीतीश कुमार की पार्टी का समर्थन मिला और जीत हासिल की थी.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस विधानसभा सीट पर 2020 विधानसभा चुनावों से पहले 16 बार हुए चुनावों में सबसे ज्यादा 7 बार कांग्रेस को जीत मिली है. वहीं, जनता दल यूनाइटेड उम्मीदवार तीन बार यहां से जीतने में सफल रहे हैं.
इस सीट पर जेडीयू का दबदबा माना जाता है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2015 से ठीक पहले के तीन चुनावों में जेडीयू के गौतम सिंह ने इस सीट पर कब्जा किया था. लेकिन 2015 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के महागठबंधन का हिस्सा होने के कारण यह सीट उसके झोली में गई और कांग्रेस उम्मीदवार को जीत भी हासिल हुई.
सामाजिक ताना बाना
मांझी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र बिहार के सारण जिले में आता है. महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस विधानसभा में करीब 399628 आबादी रहती है. यहां अभी तक शहरीकरण नहीं हुआ है, पूरी की पूरी आबादी ग्रामीण है. यहां की जनसंख्या में 12.64 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति (एससी) से है और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का हिस्सा 3.6 फीसदी है.
2015 का जनादेश
2019 के लोकसभा चुनावों में यहां 51.8 फीसदी लोगों वोटिंग की थी. वहीं 2015 के विधानसभा चुनावों में यहां वोट परसेंटेज 50.73 फीसदी था. 2015 में कांग्रेस को 20.57 फीसदी वोट हासिल हुए थे. वहीं, दूसरे नंबर पर रही लोजपा को 14.4 फीसदी, सीपीएम को 12.39 फीसदी, निर्दलीय उम्मीदवार को 9.97 फीसदी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को 9.36 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.
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