Jammu and Kashmir Panchayat Aaj Tak 2024: जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. इसको लेकर घाटी का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. चुनावी मिजाज और असली मुद्दों को समझने के लिए आज 'पंचायत आजतक' का मंच सजा. इसमें कई मशहूर हस्तियों ने शिरकत की. बदल रहा कश्मीर? इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए कार्यक्रम में वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हन्नान हुसैन, सोशल एक्टिविस्ट अनिका नजीर और जाने-माने पर्यावरणविद एजाज रसूल ने शिरकत की. चुनावी बयानबाजियों से इतर इन लोगों ने बताया कि आखिर कश्मीर में पिछले कुछ सालों में क्या बदला है और आगे क्या होना चाहिए.
'पर्यावरण की किसी को परवाह नहीं'
राजनीतिक दलों को कटघरे में खड़ा करते हुए पर्यावरणविद एजाज रसूल ने कहा कि मुझे हैरानी हुई कि किसी भी राजनीतिक दल के घोषणापत्र में पर्यावरण को लेकर कोई ठोस जिक्र नहीं है. विकास की लोग दुहाई देते हैं लेकिन हमें समझना होगा कि सड़कें बनाना, रेल लाना ही सिर्फ विकास नहीं है. बल्कि इससे होने वाले दुष्प्रभावों पर भी चर्चा होनी चाहिए.डल झील का हाल खराब है. बेहिसाब गर्मी बढ़ी है. जंगलों की कमी हुई है. लेकिन ये सब एक दिन में नहीं हुआ. साल दर साल हालात खराब हुए हैं. ऐसे में सभी दलों को इसपर चिंता होनी चाहिए.
'चश्मा हटाकर देखें तो दिखेगा बदलाव'
इस कार्यक्रम में अनिका नजीर ने कहा कि 2014 के बाद से कश्मीर में बहुत कुछ बदला है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. पत्थरबाजी रुकी है. निवेश आए हैं. स्कूल खुले हैं. इससे इनकार करने वालों को चश्मा बदलने की जरूरत है. लेकिन हां, जम्मू कश्मीर में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. कश्मीर के लोगों को बुनियादी चीजों की जरूरत है. धीरे-धीरे बदलाव होंगे.अनिका ने कहा कि पहले जब 370 था तब भी यहां के युवाओं पर अत्याचार हुए थे. लेकिन अब धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं.
यह भी पढ़ें: '3 आतंकी छोड़े थे, आज देख रहे हैं हश्र', IC814 प्लेन हाईजैक पर बोले तत्कालीन CM फारूक अब्दुल्ला
क्या बोले हन्नान हुसैन
हन्नान हुसैन ने कहा कि लोग स्कूल खुलने की बात कर रहे हैं. लेकिन आज भी यहां स्टूडेंट यूनियन बैन है. जब ऐसा हाल रहेगा तो नए नेता कैसे आएंगे. यहां लोगों की मुश्किलें 370 हटने के बाद कम नहीं हुई हैं. गरीब लोगों से बात कीजिए तो हकीकत पता चलेगी. लोगों के कारोबार खत्म हो गए हैं.
कैसा कश्मीर चाहिए?
तीनों से जब ये सवाल पूछा गया कि आखिर वो कैसा कश्मीर चाहते हैं तो एजाज रसूल ने कहा कि सबसे पहले तो यहां के लोगों को शांति चाहिए. राजनीतिक स्थिरता यहां की सबसे बड़ी जरूरत है. लोग यहां काफी मैच्योर हैं. वो तमाम मुद्दों को ध्यान में रखकर वोट करेंगे. वहीं अनिका ने कहा कि हमें समझना होगा कि हमारे मसले देश के साथ रहकर ही हल होंगे.बुनियादी जरूरतों को ध्यान में रखना होगा. वहीं, हन्नान हुसैन ने कहा कि हमें हमारा पहले वाला कश्मीर चाहिए जहां धर्म को किनारे पर रखकर सभी रहते थे. हमें हंसता खिलता कश्मीर चाहिए. जो कश्मीर हमसे छिन गया है वो कश्मीर हमें वापस चाहिए. लोगों को रोजगार चाहिए.
तीन चरणों में होगा मतदान
बता दें कि जम्मू-कश्मीर 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. 370 खत्म किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया गया था. इसके बाद पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव तीन चरणों में होंगे. राज्य की 90 विधानसभा सीटों के लिए 18 सिंतबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदाता अपने मत का इस्तेमाल करेंगे. वहीं 8 अक्टूबर को चुनाव के परिणाम घोषित किए जाएंगे.