चुनाव आयोग ने 31 अक्टूबर के अपने आदेश में 'तुरही' चिह्न के मराठी अनुवाद 'तुतारी' को रद्द करने का फैसला किया है. तुरही बजाता हुआ आदमी (तुतारी) एनसीपी शरद पवार का चिह्न है. लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार गुट ने दावा किया था कि लोकसभा चुनाव में तुरही चिह्न के तुतारी के रूप में उल्लेख किए जाने से उन्हें बड़ा झटका लगा है. उन्होंने चुनाव आयोग से उनके चिह्न से मिलता-जुलता चिह्न न दिए जाने की मांग की थी. चुनाव आयोग ने भ्रम से बचने के लिए चिह्न के लिए तुतारी शब्द का इस्तेमाल न करके तुरही शब्द का इस्तेमाल करने का फैसला किया है.
चुनाव आयोग के आदेश के अनुसार तुतारी शब्द का इस्तेमाल न करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके बजाय विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों को मुफ्त चिह्न बांटते समय इसके अंग्रेजी अनुवाद तुरही शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा. जबकि शरद पवार गुट का चिह्न तुरहा बजाता हुआ आदमी (तुतारी) होगा.
इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, 'मैं इस फैसले के लिए चुनाव आयोग को धन्यवाद देती हूं. हमारा अनुरोध था कि उस चुनाव चिन्ह को सूची से हटा दिया जाए. लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ. हमने फूल मांगा था, लेकिन हमें पंखुड़ी दी गई है. तुरही के चुनाव चिन्ह को लेकर भ्रम की स्थिति थी, जिसका खामियाजा हमें लोकसभा में भुगतना पड़ा. हमने उनके सामने सारे आंकड़े पेश किए. इस देश में चुनाव पारदर्शी तरीके से होने चाहिए.'
'मैंने बहुतों को कई पद दिए, बेटी को कुछ नहीं'
तीन दिन पहले शरद पवार ने कहा था, 'एक वक्त था, जब औद्योगीकरण की वजह से कई कंपनियां पुणे के दक्षिण की ओर आ गईं. एयरबस को लेकर रतन टाटा ने फैसला लिया. उन्होंने कहा कि हम यह विमान विदेश से क्यों लें? उन्होंने इसे यहीं बनाने का फैसला लिया और नागपुर में जगह दे दी. अब आया मोदी जी का राज, उन्होंने कंपनी को फोन कर बताया कि फैक्ट्री गुजरात में बनेगी. महाराष्ट्र के हजारों बच्चों को काम मिलने वाला था और वह फैक्ट्री आज गुजरात चली गई.'
उन्होंने आगे कहा कि वेदांता फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट युवाओं को नौकरियां देती, मोदी साहब ने उन्हें बुलाया और फैक्ट्री गुजरात ले गए. प्रधानमंत्री राज्य का नही देश का होता है लेकिन उन्होंने केवल एक ही राज्य का विकास किया. उद्योग के मामले में महाराष्ट्र नंबर वन था, अब पांच पर चला गया है. रोजगार छीनने वाले लोगों का समर्थन नहीं किया जाएगा.