बिहार में 75 लाख पात्र महिलाओं को हर महीने 10 हजार रुपये देने वाली राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर निर्वाचन आयोग से राहत मिलने के संकेत मिले हैं. सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने इस योजना को आदर्श आचार संहिता के दायरे से बाहर माना है. इसका मतलब यह है कि अब इस योजना पर किसी तरह की रोक की संभावना नहीं है.
नीतिगत निर्णय बताकर सरकार को राहत
निर्वाचन आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, बिहार में महिलाओं को 10 हजार रुपये की सहायता देने वाली योजना को सरकार का नीतिगत निर्णय माना गया है. आयोग का मानना है कि यह किसी नई योजना की घोषणा नहीं, बल्कि पहले से स्वीकृत और लागू नीति का हिस्सा है. यही वजह है कि इसे चुनावी लाभ देने वाली कार्रवाई की श्रेणी में नहीं रखा गया है.
चुनाव घोषणा से पहले हुई थी योजना की घोषणा
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आयोग ने इस मामले की पूरी फाइल और विपक्षी दलों की शिकायतों का परीक्षण किया. सूत्रों के मुताबिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बिहार सरकार ने इस योजना की घोषणा चुनाव कार्यक्रम घोषित होने से पहले कर दी थी. इतना ही नहीं, सितंबर महीने में पहली किस्त का भुगतान भी लाभार्थी महिलाओं को किया जा चुका है. इसलिए इसे चुनाव घोषणा के बाद नई योजना शुरू करने के रूप में नहीं देखा गया.
आयोग को नहीं मिला कोई उल्लंघन
आयोग के सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दलों की ओर से की गई शिकायत और सरकार द्वारा दिए गए जवाब में ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला, जिससे यह साबित हो कि यह योजना मतदाताओं को लुभाने के लिए शुरू की गई थी. आयोग ने इस निष्कर्ष पर पहुंचकर माना कि इस योजना के कार्यान्वयन में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ है.
आयोग के अनुसार, चुनाव की घोषणा के बाद किसी नई परियोजना की घोषणा करना या पुरानी परियोजना को राजनीतिक लाभ के लिए लागू करना लेवल प्लेइंग फील्ड (समान अवसर सिद्धांत) का उल्लंघन माना जाता है. इस सिद्धांत के तहत आयोग के पास व्यापक अधिकार हैं और किसी भी उल्लंघन पर वह कार्रवाई कर सकता है. लेकिन इस मामले में, आयोग को ऐसा कोई आधार नहीं मिला जिससे कार्रवाई की आवश्यकता पड़े.
इस प्रकार, बिहार सरकार और सत्तारूढ़ गठबंधन को इस योजना पर आयोग से राहत मिलती दिख रही है. अब सरकार इस महिला सशक्तिकरण योजना को जारी रख सकेगी, जिससे राज्य की 75 लाख महिलाओं को आर्थिक सहायता मिलनी तय है.