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इंजीनियरिंग में मन नहीं लगा तो बनाए दिलचस्प मोबाइल गेम्स...

इंजीनियरिंग कर चुके इस नौजवान ने मोटी तनख्वाह वाली इन्फोसिस की नौकरी छोड़ दी. स्टार्ट अप के साथ जुड़े, फेल रहे. फिर से नौकरी की और छोड़ी भी. और फिर कुछ ऐसा हुआ कि सफलता की राहें खुलती गईं...

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Tanay Tayal
Tanay Tayal

ऐसा हो सकता है कि आप तनय तायल को जानते हों या फिर न भी जानते हों, लेकिन मोबाइल गेमिंग में इंटरेस्ट रखने वाले 'मूनफ्रॉग' से तो पक्का परिचित होंगे.

उन्होंने अपने 4 दोस्तों के साथ इसकी शुरुआत की थी और आज वह गेमिंग की दुनिया में धमाल मचा रहे हैं.

सब तक पहुंचाना चाहते हैं 'मूनफ्रॉग'...
आंकड़ों की मानें, तो भारत में स्मार्ट फोन्स की संख्या लगभग 25 करोड़ है और इसके लगातार बढ़ते रहने की संभावना है. जैसे जैसे हमारे देश में स्मार्ट फोन्स बढ़ेंगे, इसी के साथ इन पर गेम्स डाउनलोड करने वालों की तादाद भी बढ़ेगी. तनय चाहते हैं कि वे 100 करोड़ लोगों तक मूनफ्रॉग को पहुंचा सकें. वे इसके लिए खास रणनीति पर काम भी कर रहे हैं.

गेमिंग में भारत का भविष्य उज्जवल है...
तनय कहते हैं कि मोबाइल और गेमिंग भारत के भीतर एक ऐसा इंडस्ट्री है जिसके बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं. वे बताते हैं कि साल 2010 में चीन की गेमिंग इंडस्ट्री 150 मिलियन डॉलर की थी जो साल 2015 में बढ़कर 7 बिलियन हो गई. भारत में भी इसके 10 बिलियन हो जाने की संभावना है. इंडस्ट्री के विस्तार को देखते हुए उन्हें पूरी उम्मीद है कि वे अपना टार्गेट हासिल कर लेंगे.

मोटी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ स्टार्ट अप ज्वाइन किया...
तनय ने इंजीनियरिंग की है और उसके बाद उन्होंने इन्फोसिस में नौकरी शुरू की थी. वे करीब साल भर वहां काम करते रहे और अचानक नौकरी छोड़ दी. उनके माता-पिता भी उनके इस निर्णय से हक्के-बक्के थे. उन्होंने एक गुमनाम से स्टार्ट अप को ज्वाइन करने का फैसला किया. हालांकि वह स्टार्ट अप कंपनी एकदम बैठ गई. वे निराश जरूर हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

धीरे-धीरे ही सही कारवां बढ़ता गया...
इसी बीच उन्होंने मोबाइल गेम्स के क्षेत्र में काम करने वाली जिंगा कंपनी के लिए काम करने का मौका मिला. यहां काम करते-करते उन्होंने मोबाइल गेम्स की बारीकियां सीखीं. उनके दिमाग में कुछ अलग और अपना करने का कीड़ा तो हमेशा से था. उन्होंने जिंगा को भी अलविदा कह दिया और अपने कुछ साथियों के साथ मूनफ्रॉग मोबाइल गेमिंग की शुरुआत की.

पहलेपहल वे बंगलुरू में एक छोटी सी जगह (गैराज) से काम करते रहे और आज वे बंगलुरू के कैम्ब्रिज रोड पर आलीशान दफ्तर में बैठते हैं. शुरुआम में उन्होंने विदेशी बाजार के लिए मोबाइल गेम्स बनाए, लेकिन अब यह कंपनी देशी गेम्स भी बना रही है. इसका "तीन पत्ती गोल्ड" खेल आज अधिकांश लोगों के फोन में देखा जा सकता है. 

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