आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थान में पढ़ना लाखों युवाओं का सपना होता है. हर साल लाखों में कुछ हजार ही यहां पहुंच पाते हैं. IIT और IIM से पढ़ने के बाद बड़े पैकेज की सैलरी अमूमन सभी को मिल ही जाती है. पर अब सिर्फ 'बड़ी सैलरी' इनके इरादों की उड़ान से बड़ी साबित नहीं हो पा रही है. इधर कुछ सालों से यंहा पढ़ने वाले छात्रो के कदम अब आन्ट्राप्रेन्योर बनने के ओर चल पड़े है. IIT और IIM के कैंपस में गढ़ी कुछ कहानियां जो कहती है कि एक आईडिया दुनिया बदलने के लिए काफी है …
कौन-कौन से हैं वो आईडिया ?
1. कभी आप 'टैक्सी फॉर श्योर' की टैक्सी से कंही गए है? अगर नहीं तो आपको बता दे कि यह टैक्सी सेवाएं देती है. आप इसके मोबाइल एप्लीकेशन से ऑनलाइन बुकिंग भी करा सकते है.
इस कम्पनी को शुरु करने वाले आईआईएम अहमदाबाद के दो छात्र है. राधाकृष्ण और रघुनन्दन ने मिल कर 2011 इस कम्पनी की नीव रखी. इस साल कम्पनी की कमाई 100 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है.
2. 'रेड बस' बसों की एडवांस बुकिंग के लिए प्रसिद्ध है. इसे बिट्स-पिलानी के इंजीनियर चरण पद्मराजू और सुधाकर ने मिलकर शूरु किया था. जिसे हल ही में Ibibo ग्रुप ने तकरीबन 700 करोड़ में खरीदा. यह अब के इतिहास में किसी भारतीय इंटरनेट कम्पनी की सबसे बड़ी बिक्री थी.
3. 'ट्रेवल ट्रायंगल' नोएडा के एक छोटे से गैराज से शुरु इस कम्पनी की कहानी आज करोड़ों में कही जाती है. IIT से पढ़े बचपन के दोस्त संकल्प अग्रवाल और संचित गर्ग की ये कम्पनी आज 15 देशों के 450 से भी ज्यादा ट्रेवल एजेंटो को आज काम देती है.
4. दिल की डील करने वाली कम्पनी स्नैपडील भी IIT दिल्ली से पढ़े रोहित बंसल के दिमाग की उपज है. कभी माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़ आया ये आईआईटियन अब 7000 से भी ज्यादा लोगो को नौकरी दे रहा है.
5. कम्पनी ब्लूगैप की कहानी बेहद दिलचस्प है. कभी IIT कानपुर के हॉस्टल में रहने वाले आयुष और साहिल ने कभी नहीं सोचा था कि मजाक-मजाक में दिमाग में आया ये आईडिया कभी की लाखो की किस्मत सवारनें का दम रखेगा. कभी IIT कैंपस से पोस्टर बेचने का काम शुरु करने वाली ब्लूगैप अब मार्केटिंग से लेकर ब्रांड-मैनेजमेंट तक की सेवाएं देती है.
6. 'कंही भी और कभी भी' आपकी जिंदगी को छूने वाली फ्लिपकार्ट की कहानी भी दोस्ती की स्याही से ही लिखी गयी है. IIT दिल्ली से पढ़ने वाले सचिन बंसल और बिन्नी बंसल जो कभी बेंगलुरु में फ्लैट पार्टनर थे आज देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कम्पनी को अपने पार्टनरशिप में चला रहे हैं. एक कमरे से चलने वाली इस कम्पनी के आज 13 बड़े गोदाम हैं. लगभग 33 हजार से ज्यादा लोग 'आपकी हर विश' पूरी करने के लिए लगातार काम करते रहते है. साल 2014 में कम्पनी का रेवेन्यू 2,846 करोड़ रहा जो उन सभी छत्रों के लिए मिशाल है जो कल लाखों लोगो को नौकरी देने का सपना देखते हैं.
7. अगर आपकी क्लास 1 की मार्कशीट खो गयी हो मुश्किल ही है कि आपके स्कूल में आपका डेटा मौजूद हो और फिर से वो दूसरी मार्कशीट दे सके. पर इस मुश्किल को हल करने लिए आईआईएम बेंगलुरु के छात्र अनंतराम मणि, अंजन टी , बालगणेश एस और ने रिपोर्ट बी नाम की कम्पनी बना डाली. जिससे स्कूल और कालेज में अब सारा डेटा आसानी से सालो तक रखा जा साकेगा. अभी 'रिपोर्ट बी' तमिलनाडु की सरकार के साथ सरकारी स्कूलों के डेटा बेस तैयार करने का काम कर रही है.