केंद्र सरकार ने प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना को लेकर बड़ा ऐलान किया है. दरअसल, सरकार ने कहा है कि अब सिर्फ नौवीं और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को ही सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत प्रदान की जाने वाली प्री-मैट्रिक स्कॉलर स्कीम के तहत कवर किया जाएगा. लिहाजा सेशन 2022-23 से प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के तहत कक्षा 9वीं और 10वीं के स्टूडेंट्स को ही शामिल किया जाएगा.
एजेंसी के मुताबिक सरकार ने एक नोटिस में कहा कि शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम हर बच्चे को कक्षा एक से 8वीं तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा हासिल करने का अधिकार प्रदान करता है. अभी तक स्कॉलरशिप स्कीम में 1 से 8वीं कक्षा तक के छात्रों को शामिल किया जाता था. लेकिन अब सिर्फ OBC और अल्पसंख्यक समुदायों के 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्र ही प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम में शामिल होंगे.
नए आदेश के तहत संबंधित अधिकारियों को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत सिर्फ कक्षा 9 और 10 के छात्रों के आवेदनों को वैरिफाई करने के लिए कहा गया है. हालांकि सरकार के इस फैसले का राजनीतिक पार्टियों ने जमकर विरोध किया है.
कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि दशकों से अनुसूचित जाति/जनजाति पृष्ठभूमि के बच्चों को कक्षा 1 से 8 तक की छात्रवृत्ति मिल रही है, लेकिन सरकार 2022-23 से इस छात्रवृत्ति को बंद कर रही है, जो गरीबों के खिलाफ एक षड्यंत्र है. उन्होंने कहा कि बीजेपी पिछले 8 साल से लगातार ऐसे काम कर रही है. चाहे वह SC/ST/OBC और अल्पसंख्यकों के बजट में कटौती हो या उनके खिलाफ अत्याचार की बात हो. सरकार उनके लिए चल रही कल्याणकारी योजनाओं को खत्म करने के साथ ही अब ये कदम उठा रही है.
सुरजेवाला ने कहा कि हम इस फैसला का कड़ा विरोध करते हैं. इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. इतना ही नहीं, हम इसके खिलाफ आंदोलन चलाएंगे, हमारी मांग है कि सरकार इस फैसले को तुरंत वापस ले.
वहीं, बसपा नेता कुंवर दानिश अली ने कहा कि सरकार ने कक्षा 1 से 8 के बीच अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति पर रोक लगाकर इन गरीब बच्चों को शिक्षा से दूर रखने का नया तरीका निकाला है. अली ने ट्वीट किया कि यह मत भूलिए कि शिक्षित बच्चे किसी भी समुदाय के हों, देश को आगे ले जाते हैं.
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