जहां चाह वहां राह. यही साबित किया है यूपीएससी की सिविल सर्विसेज 2018 की परीक्षा में सफल हुए वीर प्रताप सिंह राघव ने. बुलंदशहर के 'किसान पुत्र' ने बहुत संघर्षों के बाद संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता हासिल की. इस साल अप्रैल में हुए घोषित हुए रिजल्ट में वीर प्रताप को 92 वीं रैंक हासिल हुई थी. अभी संवर्ग का बंटवारा नहीं हुआ है. हालांकि अच्छी रैंक के कारण राघव को पूरा भरोसा है कि उनका चयन आईएएस में होगा. राघव ने बीते एक अगस्त को सोशल मीडिया पर अपनी संघर्ष भरी कहानी पर एक पोस्ट लिखकर उन युवाओं को प्रेरित किया है, जो खराब माली हालत के चलते संसाधनों के अभाव में कई बार हताश हो जाते हैं. इस पोस्ट पर तमाम लोगों ने उनके हौसले की दाद दी. वीर प्रताप सिंह ने Aajtak.in से कहा कि सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता. लक्ष्य पर पूरे मनोयोग से केंद्रित हो जाने से सफलता अवश्य मिलती है.
ब्याज पर लिए पैसे से पढ़ाई
बुलंदशहर में दलपतपुर गांव के रहने वाले राघव के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपने दम पर पढ़ा सकें. पिता ने तीन प्रतिशत महीने के ब्याज पर एक व्यक्ति से पैसे लेकर बेटे को तैयारी कराई. वीर प्रताप ने Aajtak.in को बताया कि वह तीसरे प्रयास में इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफल हुए. इससे पहले 2016 और 2017 में भी उन्होंने परीक्षा दी थी. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से 2015 में बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) करने वाले राघव ने वैकल्पिक विषय के तौर पर दर्शनशास्त्र लिया.
खास बात है कि 2018 की मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के राघव दर्शनशास्त्र में सबसे ज्यादा स्कोर लाने के मामले में दूसरे स्थान पर रहे. उन्हें दर्शनशास्त्र में कुल 500 में 306 अंक मिले. राघव के बड़े भाई का भी सपना आईएएस बनना था. मगर आर्थिक संकट के कारण उन्हें बीच में ही तैयारी छोड़कर सीआरपीएफ की नौकरी करनी पड़ी. राघव का कहना है कि तैयारी के दौरान उनके बडे़ भाई ने भी मार्गदर्शन किया.
5 वीं की पढ़ाई के लिए 5 किमी पैदल जाते थे स्कूल
राघव को बचपन से संघर्ष करना पड़ा. घर से पांच किमी पैदल दूरी तय कर उन्होंने पांचवीं तक पढ़ाई पूरी की. पुल के अभाव में नदी पार करके स्कूल जाना पड़ा. वीरप्रताप सिंह ने प्राथमिक शिक्षा आर्य समाज स्कूल करौरा और कक्षा छह से हाईस्कूल तक की शिक्षा सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर शिकारपुर से हासिल की. राघव ने फेसबुक पर अपने संघर्षों को बयां करते हुए लिखा, "मैंने सफलता की ढेर सारी कहानियां पढ़ीं हैं. मैं भी आज अपनी स्टोरी शेयर करता हूं. हम जानते हैं कि ज्यादातर सिविल सर्वेंट एलीट क्लास से आते हैं. मगर तमाम ऐसे भी हैं, जो गांवों से निकलते हैं, उनकी जिंदगी बहुत संघर्ष भरी होती है.....