रविवार पांच जनवरी को जेएनयू कैंपस में बड़ी संख्या में नकाबपोश हमलावरों ने छात्रों पर हमला किया. जिसमें बड़ी संख्या में लेफ्ट संगठनों से जुड़े छात्र घायल हुए हैं. इस घटना के हमलावरों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है. वहीं इस पूरे मामले में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम जगदीश कुमार के रवैये पर भी सवाल उठ रहे हैं. इन्हीं सवालों पर इंडिया टुडे/आजतक के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने वीसी से बातचीत की.
वीसी प्रो. एम जगदीश कुमार ने 5 जनवरी को जेएनयू में नकाबपोश हमलावरों द्वारा मारपीट की घटना को पूरी तरह योजनाबद्ध बताया है. उन्होंने कहा कि इस घटना का एक सिरा इस घटना से दो दिन पहले सर्वर रूम में हुए हमले से जुड़ा है. उनके अनुसार सर्वर रूम पर अटैक करने वाले फीसवृद्धि को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारी थे. उनका कहना है कि सर्वर रूम से ही यूनिवर्सिटी पूरी तरह चलती है. जिस तरह दो दिन पहले सर्वर रूम को ठप किया गया, इससे सीसीटीवी भी कलेक्ट नहीं हो पा रहे, कही न कहीं दोनों का आपस में रिलेशन है.
बता दें कि नए हॉस्टल मैन्युअल की शुरुआत से लेफ्ट विंग के छात्र विरोध कर रहे हैं. वो हॉस्टल की बढ़ी हुई फीस को पूरी तरह रोल बैक करने की मांग कर रहे हैं. वहीं वीसी ने बातचीत में ये भी कहा कि फीस वृद्धि को लेकर कुछ छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके जवाब से स्पष्ट है कि ये प्रदर्शनकारी लेफ्ट विंग के ही हैं. उन्होंने सर्वर रूम पर हमला करने वालों की पहचान पर भी जोर दिया और कहा कि सर्वर रूम पर अटैक करने वाले छात्र अपने चेहरों को ढककर आए थे, इन छात्रों ने सर्वर रूम में घुसकर यहां के कर्मचारियों को बंधक बना लिया.
उन्होंने कहा कि सर्वर रूम ही यूनिवर्सिटी का ऐसा सेंटर है, जिससे सभी काम होते हैं, फिर चाहे वो एडमिशन हों या किसी की छुट्टी पास करनी हो. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने यहां घुसकर सर्वर की केबलों को बाहर निकाल दिया. सभी स्विच ऑफ कर दिए. हमें सिस्टम को फिर से स्टैबलिश करने में तीन दिन लगते हैं. हमारे सभी ऑपरेशन इस सर्वर पर आधारित हैं. वो सब नकाब पहनकर आए और टेक्निकल स्टाफ को कहा कि बाहर जाओ. पहली बार देखा कि सब फेस को पूरी तरह कवर करके आए थे.
मेरे लिए सब स्टूडेंट हैं, उन्हें लेफ्ट-राइट के खांचे में नहीं बांध सकता
जेएनयू वीसी ने कहा कि मेरे लिए सभी यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट हैं, मैं उन्हें किसी एक खांचे में बांटकर नहीं देख सकता. उन्होंने कहा कि कुछ स्टूडेंट लगातार हॉस्टल फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं, वहीं ज्यादा छात्र ऐसे हैं, जो बढ़ी हुई फीस दे भी रहे हैं.