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ई-लर्निंग के क्षेत्र में बढ़ता रुझान

ई-लर्निंग यानी शिक्षा देने का इलेक्ट्रानिक तरीका. ई-लर्निंग के बढ़ते साधनों से अब सीखना-सिखाना काफी आसान हो गया है. स्कूल, कॉलेज, दफ्तर हो या घर, इन नए साधनों से लोग सीखने या अपने कौशल को बेहतर बनाने में मदद ले रहे हैं.

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ई-लर्निंग यानी शिक्षा देने का इलेक्ट्रानिक तरीका. ई-लर्निंग के बढ़ते साधनों से अब सीखना-सिखाना काफी आसान हो गया है. स्कूल, कॉलेज, दफ्तर हो या घर, इन नए साधनों से लोग सीखने या अपने कौशल को बेहतर बनाने में मदद ले रहे हैं.

आइए जानते हैं ई- लर्निंग के बारे में विस्तार से:

टेक्सट बुक से लेकर टैबलेट तकः शिक्षा को सुविधाजनक बनाने के लिए संस्थान छात्रों को टैबलेट का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि वे ई-टेक्स्टबुक्स को आसानी से हासिल कर सकें. वे अपने टैबलेटों के जरिए डिजिटल लाइब्रेरी और वीडियो ट्यूटोरियल उपलब्ध करा रहे हैं.

एम-लर्निंग और माइक्रो लर्निंगः नई टेक्नोलॉजी की बदौलत कई तरह के लर्निंग मोबाइल बन रहे हैं. टिन कैन जैसे ई-लर्निंग ऐप्स के साथ अब छात्रों को फटाफट पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए माइक्रो-स्लाइसेज के रूप में पढ़ाई की सामग्री भेजी जा सकती है.

ओपन एजुकेशन रिसोर्सेज़ः ओपन एजुकेशन रिसोर्सेज (ओईआर) टीचिंग और लर्निंग के मकसद से विकसित किया जाता है और मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है. यह डिजिटाइज्ड सामग्री ओपन डेवलपमेंट की सुविधा देती है. ओईआर में विशेष एजुकेशन कोर्स और विषय, डिजिटाइज्ड टेक्स्टबुक, वीडियो और अन्य सामग्री शामिल हैं जिनका इस्तेमाल पढ़ाई के लिए किया जा सकता है.

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सोशल लर्निंगः यह छात्रों को आपस में लर्निंग की सुविधा देता है, जिसे एमओओसी (मैसिवली ओपन ऑनलाइन कोर्सेज) ने लोकप्रिय बनाया है. इस तरह की लर्निंग सोशल लर्निंग का मार्ग प्रशस्त कर रही है, जहां विषयों को लेकर कम्युनिटीज बना ली जाती हैं. छात्र दुनिया भर में दूसरे छात्रों के साथ संबंधित विषय पर चर्चा करते हैं और अपनी जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं.

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