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विश्व पुस्तक मेले में 'बुकचोर' भी, इस वजह से है खास

प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में 'बुकचोर' सुर्खियां बटोर रहा है. नाम पर मत जाइए, यहां चोरी की पुस्तकें नहीं मिलती हैं, बल्कि पुरानी किताबों को कम दामों पर बेचा जाता है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में 'बुकचोर' सुर्खियां बटोर रहा है. नाम पर मत जाइए, यहां चोरी की पुस्तकें नहीं मिलती हैं, बल्कि पुरानी किताबों को कम दामों पर बेचा जाता है. प्रगति मैदान के हॉल नंबर 10 में 'बुकचोर' का स्टॉल दूर से ही लुभाता है. बांस से बनी बुकशेल्फ रह-रहकर पाठकों के कदम रोक लेती हैं.

'बुकचोर' के प्रबंधक भावेश शर्मा ने इस अतरंगी नाम के बारे में पूछने पर आईएएनएस को बताया कि हम कुछ ऐसा नाम चाहते थे, जिससे लोगों में उत्सुकता बने. लोग सर्च करें कि यह है क्या. इसलिए यह नाम रखा गया." उन्होंने बताया कि "हमारा लक्षित पाठक वर्ग युवा है. फिक्शन और नॉन फिक्शन श्रेणियों में महंगी से महंगी पुरानी किताबों को हम काफी कम दाम में बेचते हैं."

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'बुकचोर' ने अक्टूबर 2015 में संचालन शुरू किया था और इतने कम समय में पुरानी किताबों के शौकीन पाठकों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. भावेश का कहना है कि "अक्टूबर 2015 में कामकाज शुरू करने के बाद से अब तक हमारे पाठकों की संख्या पांच लाख है. हमारे पाठक अरुणाचल प्रदेश से लेकर केरल तक हैं.

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उन्होंने ये भी बताया कि हमारी वेबसाइट बुकचोर डॉट कॉम से भी किताबें बुक की जा सकती हैं। इसके साथ ही हमारा एक एप भी है, जिसकी मदद से आप आसानी से पुरानी किताबें बुक कर सकते हैं." 'बुकचोर' अंग्रेजी की पुरानी किताबें ही बेचता है. यहां महंगी किताबों को भी सस्ते दामों पर खरीदा जा सकता है. 'बुकचोर' पाठकों के साथ-साथ कई खुदरा विक्रेताओं से पुरानी किताबें लेता है. इसके लिए बाकायदा बुकचोर की वेबसाइट पर जाकर पुरानी किताबें देने का विकल्प है.

'बुकचोर' की फिलहाल एक ही रिटेल शॉप है, जो सोनीपत में है, जबकि इसका सारा कारोबार ऑनलाइन ही होता है.

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