दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिले के दौरान आने वाली समस्याओं को लेकर छात्रों को अब परेशान नहीं होना पड़ेगा. आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन, एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर ऑल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (ASAP) ने ऐसे छात्रों की मदद के लिए डीयू के ऑर्ट्स फैकल्टी के बाहर एक एडमिशन हेल्प डेस्क लगाया है, जहां छात्रों की हर समस्या का समाधान निकाला जाएगा.
दिल्ली से बाहर के राज्यों से आकर डीयू के कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले छात्रों को भी अपनी आशंकाओं-सवालों के जवाब के लिए कहीं भटकने की जरूरत नहीं है. इनके लिए जोन वाइज हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं. इन नंबरों पर कॉल कर छात्र अपने सवालों के जवाब पा सकते हैं. गुरुवार को ‘‘आप’’ मुख्यालय पर प्रेसवार्ता कर एसैप के सदस्य ईशना गुप्ता और दीपक बंसल ने यह जानकारी दी है.
ईशना गुप्ता ने कहा कि “आप” के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एसैप (ASAP) को लॉन्च कर देश के छात्रों को एक नया विजन दिया है. एसैप के कर्मठ सदस्य 24 घंटे छात्रों के साथ खड़े हैं. छात्रों का एक-एक दिन कीमती होता है. इसी के मद्देनजर एसैप ने अब तक कई सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया है.
ईशना गुप्ता ने बताया कि हाल ही में चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में जो घटना हुई, उस मुश्किल घड़ी में एसैप ने छात्रों का साथ दिया और आर्थिक मदद भी प्रदान की. जब एसैप के छात्र वहां गए तो देखा कि छात्र साथी कॉलेज के गेट के बाहर धूप, गर्मी और बारिश में संघर्ष कर रहे थे.
छात्रों की खाने-पीने की दिक्कत का भी रखा जाएगा ध्यान
एसैप को लगा कि छात्रों को खानपान में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. इसके बाद एसैप ने बुधवार को एक नई पहल लॉन्च की है. इसके तहत एसैप ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की आर्ट्स फैकल्टी के बाहर एक एडमिशंस हेल्प डेस्क तैयार किया है, जो छात्रों को यूजी और पीजी के दाखिले में मदद करेगा.
ईशना गुप्ता ने कहा कि 'जब एक छात्र 12वीं पास करता है, तो उसके बड़े सपने होते हैं. वह चाहता है कि अच्छी यूनिवर्सिटी और कॉलेज में जाए लेकिन कई छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं और सही जानकारी के अभाव में पीछे रह जाते हैं. ऐसे छात्रों की मदद के लिए एसैप प्रतिबद्ध है और सभी छात्रों के लिए एक सपोर्ट सिस्टम बनाना चाहता है. कई छात्र हेल्प डेस्क तक नहीं पहुंच सकते, क्योंकि वे दूर दराज के इलाकों से यात्रा नहीं कर सकते. ऐसे छात्रों के लिए संगठन ने अपने विभिन्न सोशल मीडिया पेज के जरिए जोन-वाइज हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं.'
उन्होंने आगे कहा, 'इन हेल्पलाइन नंबरों के जरिए छात्र यूजी और पीजी एडमिशन के लिए तत्काल सहायता ले सकते हैं, अपने डाउट और सवाल पूछ सकते हैं. इस हेल्प डेस्क और हेल्पलाइन के लॉन्च का मकसद हर छात्र को आत्मनिर्भर महसूस कराना है. उनकी एडमिशन की यात्रा को आसान बनाना है. एसैप सभी छात्रों के साथ 24 घंटे खड़ा है, क्योंकि संगठन का मानना है कि जब छात्रों की शुरुआत अच्छी होती है, तभी वे आगे चलकर देश और समाज में बदलाव ला सकते हैं.'
24 घंटे चालू रहेगा हेल्पलाइन नंबर
वहीं, एसैप सदस्य दीपक बंसल ने कहा, 'एसैप 24 घंटे दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों की समस्याओं को उठाने के लिए काम कर रही है. संगठन के वॉलंटियर्स सक्रिय हैं. देश की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस एक सिक्के के दो पहलू बन चुके हैं, उसी तरह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) भी एक सिक्के के दो पहलू बन चुके हैं.
उन्होंने कहा कि हाल ही में डीयू में एक निंदनीय घटना घटी, जहां एबीवीपी के अध्यक्ष प्रत्याशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) ऑफिस में ताला लगाया. कुछ ही देर बाद एनएसयूआई के अध्यक्ष, जो डूसू अध्यक्ष भी हैं, वहां पहुंचे और हथौड़े से ताला तोड़ने का काम किया. यह एक स्क्रिप्टेड घटना थी, जो दिखाती है कि डीयू में केवल रील की राजनीति हो रही है.'
दीपक बंसल ने कहा कि डीयू के छात्रों ने एबीवीपी और एनएसयूआई को दो-दो सीटों पर बहुमत दिया, ताकि वे उनकी मूलभूत सुविधाओं के लिए आवाज उठा सकें. लेकिन ये प्रतिनिधि न तो उनकी आवाज बन पाए, न ही उनकी समस्याएं उठा पाए. हाल ही में जाकिर हुसैन कॉलेज में आग लगने की घटना इसका उदाहरण है, जहां कोई इमरजेंसी गेट नहीं था, न ही फायर अलार्म या फायर इंस्ट्रूमेंट्स थे. यह डीयू प्रशासन के लिए शर्म की बात है.
दिल्ली विश्वविद्यालय में एसैप ने बताई इन सुविधाओं की कमी
दीपक बंसल ने कहा कि डीयू विश्व के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिना जाता है. यहां देश व दुनिया भर से छात्र पढ़ने आते हैं, वहां मूलभूत सुविधाएं जैसे पानी की व्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वच्छ मेस की कमी है. अदिति महाविद्यालय, भगिनी निवेदिता कॉलेज जैसे कई कॉलेजों का इंफ्रास्ट्रक्चर दयनीय है.
पंखे नहीं चलते, हॉस्टल्स में फीस बढ़ रही है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर सही नहीं हो पा रहा. डीयू के सरकारी हॉस्टल के मेस में भोजन स्वच्छ नहीं है. कैंटीन संचालक मापदंडों का पालन नहीं करते. एसैप मांग करती है कि इस रील की राजनीति को खत्म किया जाए. छात्र अब एसैप को वैकल्पिक राजनीति के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि एबीवीपी और एनएसयूआई केवल रील बनाने में व्यस्त हैं.
दीपक बंसल ने कहा कि एसैप डीयू प्रशासन से मांग करती है कि सभी कॉलेजों में ठंडे पानी के कूलर लगाए जाएं, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारा जाए, फायर सेफ्टी और फायर एग्जिट गेट सुनिश्चित किए जाएं. साथ ही, डीयू और हॉस्टलों में फीस बढ़ोतरी बंद होनी चाहिए. एसैप का मानना है कि सरकारी विश्वविद्यालयों में शिक्षा निशुल्क होनी चाहिए, जैसा कि “आप” के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर, पानी, स्विमिंग पूल और खेल परिसर की व्यवस्था करके दिखाया. एसैप ने कहा कि यदि डीयू प्रशासन उनकी मांगों को पूरा नहीं करता, तो वे जल्द ही डीयू के कुलपति को ज्ञापन सौंपेंगे और प्रदर्शन करेंगे.