बहुत कम लोग ही जानते है कि मशहूर गायक कैलाश खेर दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र रह चुके हैं. कैलाश ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्राचार पाठ्यक्रम में पढ़ाई तो शुरू की थी लेकिन कई वजहों के चलते बीच में छोड़नी पड़ी. हालांकि आज उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़ने को कोई मलाल नहीं है. संघर्ष के दिनों के बारे में बात करते हुए कैलाश कहते हैं कि वह जब वे दिल्ली में थे, तो उनके पास करने के लिए ढेरों काम होते थे, इस वजह से पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे सके. शुरुआत में वह इसे लेकर सतर्क रहे, लेकिन अब वह अपने पुराने दिनों की तरफ पीछे मुड़कर नहीं देखते.
कैलाश को इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों यश भारती अवॉर्ड मिला. उन्होंने बताया, 'मुझे शुरुआत में थोड़ा अजीब लगता था , क्योंकि मैंने सही से पढ़ाई नहीं की. अब ठीक है. मैं इतने डिग्री धारी लोगों से मिला हूं, लेकिन वे महान मनुष्य हों, यह जरूरी नहीं.'
मेरठ से ताल्लुक रखने वाले कैलाश का कहना है कि पहले उनमें कम पढ़े-लिखे होने की वजह से एक हीनभावना' थी.
उन्होंने कहा कि मुझे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों की ओर से प्रेरक भाषण देने का न्योता मिलने के बाद अहसास हुआ कि 'शाब्दिक डिग्री' मायने नहीं रखती.
कैलाश ने कहा, 'असल डिग्री आपका चरित्र है, मुझे कतई मलाल नहीं (कॉलेज में न पढ़ने का) है. ईश्वर ने मुझे अब दुनिया को आलोकित करने के लिए ज्यादा बड़ी चीज दी है. इसलिए अफसोस करने की बजाय मैं एहसानमंद हूं.'
जब कैलाश से ये पूछा जाता है कि क्या आप कॉलेज वापस जाना चाहेंगे? तो उन्होंने ने कहा, 'उस वक्त पैसा ही एकमात्र चिंता नहीं थी. लाचारी भी थी. मैं अपने मां-बाप की देखरेख कर रहा था. जीविकोपार्जन के लिए पैसा कमाने की जद्दोजहद कर रहा था. आपको मालूम ही है कि स्टूडेंट्स पॉकेट मनी पाने के लिए क्या-क्या नहीं करते हैं. मैं उस दौर में संगीत भी सीख रहा था इसलिए किसी एक चीज पर ध्यान नहीं दे सका. बदकिस्मती से मेरे पास अब भी वक्त नहीं है .'