भारतीय जनता पार्टी नेता सुब्रमण्यम स्वामी के ट्वीट पर बवाल मच गया है और इससे मालदीव भड़क गया है. मालदीव के विदेश सचिव अहमद सरीर ने भारतीय हाई कमिश्नर अखिलेश मिश्रा को इस रविवार समन किया. दरअसल, 24 अगस्त को सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया था कि "अगर मालदीव में
चुनाव के दौरान गड़बड़ी होती है तो भारत को हमला बोल देना चाहिए." उसके
बाद मालदीव ने यह कदम उठाया है.
साथ ही उन्होंने अपने एक जवाबी ट्वीट में 1988 के ऑपरेशन का जिक्र किया. आपको बता दें कि साल 1988 में भारत ने मालदीव में सैन्य ऑपरेशन किया था, जिसके बाद मालदीव और भारत के बीच बेहतर संबध हो गए थे.
ऑपरेशन कैक्टस: साल 1988 में किए गए इस ऑपरेशन को ऑपरेशन कैक्टस का नाम दिया गया था. 1988 में मालदीव में अप्रवासी अब्दुल्ला लुतूफी ने अब्दुल गयूम सरकार के तख्ता पलट की साजिश रची थी. इसमें उसका सहयोग श्रीलंका आधारित अलगाववादी संगठन पीपल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम ने किया था.
उस वक्त नवंबर 1988 की शुरूआत में हथियारबंद लड़ाके वॉटरबोटों के जरिए राजधानी माले पहुंच गए. वहां विद्रोहियों द्वारा अहम सरकारी बिल्डिंगों, एयरपोर्ट, पोर्ट, कम्यूनिकेशन सेंटर पर कब्जा कर लिया गया. कई नेता उनके कब्जे में आ गए. तब PLOTE के 80 लड़ाकों ने हिंद महासागर के जरिए मालदीव में घुसकर बमबारी की थी.
उस वक्त गयूम ने पाकिस्तान, श्रीलंका, अमेरिका जैसे देशों से मदद की गुहार लगाई थी. तब 3 नवंबर को राजीव गांधी ने हिंदुस्तानी फौज को गयूम की मदद के लिए मालदीव भेजा.
रिपोर्ट्स के अनुसार, 50 वीं पैराशूट बिग्रेड के सैनिकों को राजधानी माले में भेजा गया गया था. हथियारबंद लड़ाकों और हिंदुस्तानी सैनिकों में हुई लड़ाई में लड़ाकों की हार हुई और फिर से गयूम की सरकार सत्ता में आ गई.
इस ऑपरेशन भारत को ऑपरेशन के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रशंसा मिली. संयुक्त
राज्य के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने भारत की कार्रवाई के लिए अपनी प्रशंसा
व्यक्त की.