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UP Teachers Salary Hike: शिक्षकों के लिए बड़ी खुशखबरी! इतनी बढ़ेगी सैलरी, कार्यकाल को लेकर भी लिया ये फैसला

UP Teachers Salary Hike: यूपी कैबिनेट के फैसले के तहत पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल लेवल) में पढ़ा रहे शिक्षकों का मासिक मानदेय 12,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दिया गया है. वहीं, उत्तर मध्यमा (इंटरमीडिएट लेवल) में शिक्षण कार्य कर रहे शिक्षकों का मानदेय 15,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये करने को भी मंजूरी दी गई है.

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यूपी शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने का फैसला (सांकेतिक तस्वीर)
यूपी शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने का फैसला (सांकेतिक तस्वीर)

UP Teachers Salary Hike: उत्तर प्रदेश के शिक्षकों को लिए बड़ी खुशखबरी है. योगी सरकार ने अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में कार्यरत मानदेय शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने पर सहमति दी है. प्रदेश कैबिनेट ने 'बाई सर्कुलेशन' के माध्यम से एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए न सिर्फ इन शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने पर सहमति दी है, बल्कि उनके कार्यकाल को भी दो शैक्षिक सत्रों के लिए बढ़ा दिया गया है.

यूपी में इतनी बढ़ेगी शिक्षकों की सैलरी 
यूपी कैबिनेट के फैसले के तहत पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल लेवल) में पढ़ा रहे शिक्षकों का मासिक मानदेय 12,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दिया गया है. वहीं, उत्तर मध्यमा (इंटरमीडिएट लेवल) में शिक्षण कार्य कर रहे शिक्षकों का मानदेय 15,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये करने को भी मंजूरी दी गई है. यह बढ़ोतरी लंबे समय से शिक्षकों की मांग रही है, जिसे अब सरकार ने स्वीकार कर लिया है.

शिक्षकों का कार्यकाल भी बढ़ा
साथ ही, कैबिनेट ने वर्ष 2021 और 2023 में तैनात किए गए और वर्तमान में कार्यरत मानदेय शिक्षकों के कार्यकाल को आगामी दो शैक्षिक सत्रों 2025-26 और 2026-27 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है. यह फैसला उन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जहां नियमित नियुक्तियां न हो पाने के कारण शिक्षकों की भारी कमी बनी हुई है, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी.

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संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों को भी होगा लाभ
इस निर्णय का लाभ केवल अशासकीय एडेड संस्कृत विद्यालयों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि प्रदेश के राजकीय संस्कृत विद्यालयों में कार्यरत मानदेय शिक्षक भी इससे लाभांवित होंगे. उनके कार्यकाल में भी दो सत्रों की वृद्धि की जाएगी.

माना जा रहा है कि यूपी सरकार की इस पूरी प्रक्रिया से प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में शैक्षिक वातावरण को मजबूती मिलेगी और शिक्षकों को भी कुछ हद तक वित्तीय स्थिरता व रोजगार सुरक्षा प्राप्त होगी. यह कदम सरकार की उस प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है जिसमें पारंपरिक शिक्षा को बढ़ावा देना और शिक्षकों की भूमिका को सम्मान देना शामिल है.

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