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पढ़ाई के मामले में 22वें से पहले पहले नंबर पर पहुंचा पंजाब, इन सुधारों से बदली स्कूलों की तस्वीर

अब पंजाब में सरकारी स्कूल के छात्र भी नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर उन्हें क्लियर कर रहे हैं. पंजाब हर साल अपनी परफॉर्मेंस मेट्रिक्स पर नजर रख रहा है. साल 2013 में भी पंजाब ने PGI में 120 में से 113.4 स्कोर किया था. इस दौरान यह राज्य दिल्ली और केरल से भी आगे निकल गया था. NAS 2021 में 15 में से 1 विषयों में पंजाब ने टॉप किया था.

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साल 2017 की NSA रिपोर्ट देखने के बाद पंजाब से शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार किए हैं. (Photo: PTI)
साल 2017 की NSA रिपोर्ट देखने के बाद पंजाब से शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार किए हैं. (Photo: PTI)

शिक्षा क्षेत्र के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स में पंजाब की रैंकिंग बढ़ी है. 2017 से 2024 के बीच, पंजाब ने शिक्षा में प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक (PGI) में 22वें स्थान से लगातार टॉप 2 में अपनी जगह बना ली है. यहां तक कि 2019–20 में पहला स्थान भी हासिल किया. कक्षा तीन, कक्षा 6 और कक्षा 9 में पंजाब से पहला स्थान प्राप्त किया है. ऐसे इसलिए क्योंकि पिछले कुछ सालों ने पंजाब से शिक्षा जगह में कई छोटे छोटे बदलाव किए हैं. नेशनल एजुकेशन असिसमेंट, परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स और नेशनल अचीवमेंट सर्वे में पंजाब की रैंकिंग सुधरी है.

22वें से पहले नंबर पर पहुंचा पंजाब

22 स्थान से सीधा टॉप पर पहुंचना कोई संयोग नहीं है. पंजाब ने छोटे छोटे सुधारों से आगे बढ़कर एक संरचित परिवर्तन की राह अपनाई है. साल 2017 की बात करें तो इस दौरान शिक्षा के क्षेत्र में पंजाब पीछे था. PGI (Performance Grading Index) में पंजाब का 22वां स्थान था, यानी पूरे भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से इसका प्रदर्शन काफी पीछे था.

पंजाब में प्री प्राइमरी से लेकर सीनियर सेकेंडरी तक बुनियादी ढांचा, शिक्षकों की उपलब्धता की कमी भी और लर्निंग आउटकम्स भी बेकार स्थिति में थे. इस साल से ही पंजाब से बदलाव होना शुरु हो गए थे क्योंकि 2017 में जब सर्वे हुआ तो पंजाब को अपनी स्थिति का अंदाजा लगा गया कि शिक्षा के क्षेत्र में वे कितने पीछे हैं. 

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सर्वे के बाद नजर आई कमियां

साल 2017 से पहले यह स्पष्ट नहीं हो पाता था कि शिक्षा के क्षेत्र में कौन सा राज्य आगे चल रहा है, लेकिन जब भारत सरकार और एनसीईआरटी ने पूरे देश में सर्वे करवाया तब राज्यों को समझ आया कि उन्हें क्या बदलाव करने की जरूरत है. सरकार ने NAS (National Achievement Survey) को एक जनगणना शैली (census style) सर्वे की तरह लागू किया.

इसमें कक्षा 3, 5 और 8 के लाखों छात्रों को शामिल किया गया और हर जिले, राज्य, विषय और कक्षा के स्तर पर नतीजे निकाले गए. इससे पूरे देश में शिक्षा की स्थिति की स्पष्ट और गहराई से तुलना संभव हो गई. इसके बाद से पंजाब ने शिक्षा क्षेत्र में अपनी खामियों को खत्म करना शुरू किया. स्कूल, टीचर्स, बुनियादी ढांचे से लेकर पढ़ाई कराने का तरीका तक सुधारा गया. 

सरकारी स्कूलों में भी हुआ सुधार

अब पंजाब में सरकारी स्कूल के छात्र भी नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर उन्हें क्लियर कर रहे हैं. पंजाब हर साल अपनी परफॉर्मेंस मेट्रिक्स पर नजर रख रहा है. साल 2013 में भी पंजाब ने PGI में 120 में से 113.4 स्कोर किया था. इस दौरान यह राज्य दिल्ली और केरल से भी आगे निकल गया था. NAS 2021 में 15 में से 1 विषयों में पंजाब ने टॉप किया था.

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इसका श्रेय किसी एक पार्टी या सरकार तो नहीं जाता है ब्लिक इसकी शुरुआत 2010 के अंत से ही हो गई थी. इस दौरान ही स्कूलों के हालास सुधारे जाने लगे थे. अच्छे टीचर्स की भर्तियां चल रही थीं. समय के साथ, कुछ सालों में पंजाब के शिक्षा क्षेत्र में सुधार हुआ है.

हालांकि, आम आदमी पार्टी की मौजूदा सरकार ने इस मानक को बनाए रखा है और इसे एक पायदान ऊपर भी ले जाने में कामयाब रही है. राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान और शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस, खासकर सरकारी स्कूलों से शुरुआत करते हुए, राज्य भर के सभी स्कूलों में शिक्षक क्षमता और डिजिटल गवर्नेंस टूल्स को मज़बूत किया. 
 

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