
BPSC TRE 2023: BPSC ने अपने बयान में कहा है कि 16 मार्च को आर्थिक एवं साइबर अपराध प्रभाग द्वारा प्रतिवेदन उपलब्ध कराया गया. इसकी समीक्षा में ये बात सामने आई है कि 15 मार्च को आयोजित परीक्षा शुरू होने के पहले पेपर लीक के संबंध में मानक साक्ष्य इस प्रतिवेदन में उपलब्ध नहीं हैं.
कथित पेपर लीक के संबंध में EOU की गठित टीम ने 15 मार्च को सुबह पांच बजे ही हजारीबाग स्थित कई स्थानों पर छापेमारी की. यहां उत्तर रटने के लिए सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थी थे. यहां टीम को मोबाइल फोन, लैपटॉप, प्रिंटर और पेन ड्राइव आदि बरामद हुए. आयोग को प्रश्नपत्र लीक की सूचना 15 मार्च की दोपहर ढाई बजे मिली. इससे पहले 12 बजे ही प्रथम पाली की परीक्षा समाप्त हो चुकी थी और ढाई बजे दूसरी पाली की परीक्षा शुरू हो चुकी थी. इसलिए आयोग ने पेपर लीक को लेकर आर्थिक अपराध इकाई से ठोस साक्ष्य की मांग की है. ठोस साक्ष्य मिलने पर ही आयोग कोई भी निर्णय लेगा.

बता दें कि बिहार में शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कांड के बाद अब आर्थिक अपराध इकाई और बीपीएससी के अफसर आमने-सामने नजर आ रहे हैं. BPSC TRE-3 के पेपर लीक मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई यानी EOU और परीक्षा का आयोजन कराने वाला बिहार लोक सेवा आयोग यानी BPSC अपने-अपने दावों के साथ आमने-सामने हैं. EOU ने इस मामले का खुलासा करते हुए दावा कर दिया है कि BPSC TRE-3 का पेपर लीक हुआ लेकिन BPSC अभी भी इस बात पर अड़ी है कि पेपर लीक के सबूत नहीं हैं.
उधर, पेपर लीक मामले की जांच के लिए आर्थिक अपराध इकाई ने एसआईटी का गठन कर रखा है. एसआईटी ने इस मामले की जांच के दौरान जो खुलासा किया है, वो बेहद चौंकाने वाला है. जांच टीम से मिली जानकारी के मुताबिक BPSC TRE-3 का पेपर लीक सरकारी स्टाफ ने ही किया है. इस मामले का मास्टरमाइंड ग्रामीण कार्य विभाग में अकाउंटेंट के तौर पर काम करता है. ग्रामीण कार्य विभाग में डिविजनल अकाउंटेंट के तौर पर कार्यरत विशाल ने पेपर लीक कराया था. विशाल हाजीपुर का रहने वाला है. विशाल को लेकर जो नई जानकारी सामने आई है.