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एक रूम में 5 क्लास, बोरे पर बैठने को मजबूर छात्र! जमीन में धसते 28 साल पुराने इस स्कूल का दर्द जानिए...

1996 मे बने इस स्कूल का आधा हिस्सा जमीन के अंदर जा चुका है. महज 5 फीट की ऊंचाई पर छत है और उसके नीचे दो कमरे हैं. एक ही कमरे में कक्षा एक से पांच तक के छात्र पढ़ाई करते हैं. दूसरा कमरा शिक्षक का ऑफिस है, जहां मिड डे मील का खाना बनता है. बाहर शौचालय हैं लेकिन ताला लगा है.

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Sorangpur Primary School in Bihar
Sorangpur Primary School in Bihar

पटना के फुलवारी सरीफ इलाके के सोरंगपुर प्राथमिक विद्यालय की स्थिति देख हर कोई हैरान रह जाता है.1996 मे बने इस स्कूल का आधा हिस्सा जमीन के अंदर जा चुका है. महज 5 फीट की ऊंचाई पर छत है और उसके नीचे दो कमरे हैं. एक ही कमरे में कक्षा एक से पांच तक के छात्र पढ़ाई करते हैं. दूसरा कमरा शिक्षक का ऑफिस है, जहां मिड डे मील का खाना बनता है. बाहर शौचालय हैं लेकिन ताला लगा है. शिक्षिकाओं का कहना है कि पानी का कनेक्शन नहीं है. छात्रों को शौचालय के लिए आसपास के घरों में जाना पड़ता है.

आजतक की टीम ग्राउंड जीरो पर जब स्कूल का हाल जानने पहुंची, तो सबसे पहले स्कूल के बरामदे पर देखा कि कुछ छात्र बोरा बिछाकर जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे. वहीं, टेबल पर बैठी प्रभारी शिक्षिका पुष्पा उन छात्रों को पढ़ा रहीं थीं. आजतक ने शिक्षिका से पूछा कि ये बच्चे जमीन पर क्यों पढ़ रहे हैं, तो शिक्षिका पुष्पा ने बताया कि स्कूल में दो ही कमरे हैं. एक में ऑफिस है जिसमें सारे कागजात हैं और उसी में मिड डे मील का खाना भी बनता है.

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जिस कमरे में जरूरी कागजात उसी में बनता है मिड डे मील

अलमीरा में कागजात रखे हैं और बगल में खाना बनाने के लिए चूल्हा जलता है. वहीं, एक कमरा है जिसकी छत 5 फीट की ऊंचाई पर ही है, जिसकी वजह से पंखे भी नहीं लगा सकते और इस कमरे में कक्षा तीन से पांच तक के छात्र पढ़ाई करते हैं. वहीं, कक्षा एक और दो के छात्र यहीं बरामदे पर बैठकर पढ़ाई करते हैं.

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शिकायत करने पर भी नहीं हुआ सुधार

दूसरी शिक्षिका जैनब ने कहा कि इस स्कूल में 84 छात्र हैं. रोजाना 50 से ऊपर छात्र पढ़ाई करने आते हैं. जिस दिन सभी छात्र पहुंच जाते हैं, उस दिन रूम में छात्रों का बैठना मुश्किल हो जाता है. बेंच डेस्क तो दूर की बात है जमीन पर बैठने तक की जगह नहीं बचती है. हम लोगों ने कई बार वरीय अधिकारी को इस बात की सूचना दी है, लेकिन अभी तक इसका ठोस उपाय नहीं किया गया है. वहीं, स्कूल की हालत को देखकर आसपास के लोग भी काफी आक्रोशित दिखे. उनका आरोप है कि सरकार शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा करती है. मगर हमारे मोहल्ले के बच्चे इसी खस्ताहाल स्कूल में पढ़ाई करते हैं. जहां उन्हें बैठने के लिए ना बेंच मिलती है और ना हवा खाने के लिए पंखा और ना ही शौच के लिए शौचालय की व्यवस्था है.

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