स्टूडेंट्स से हमेशा कहा जाता है कि उनके 10वीं और 12वीं के मार्क्स जिन्दगी भर काम आते हैं. इसलिए बोर्ड परीक्षा में हमेशा अच्छे नंबर लाने का प्रेशर रहता है. बहुत हद तक ऐसा है भी लेकिन लेखक, उद्यमी और कंटेट क्रिएटर अंकुर वारिकू की मार्कशीट कुछ और ही बयां कर रही है. अंकुर वारिकू आज एक सफल यू-ट्यूबर और नीयरबाय डॉट कॉम के मालिक हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा था जब अपनी मार्कशीट देखकर उन्हें लगा था कि वह कम अंकों के आधार जिन्दगी भर आंके जाएंगे.
कंटेंट क्रिएटर अंकुर वारिकू ने सोशल मीडिया हैंडल इंस्टाग्राम पर अपनी 12वीं कक्षा की सीबीएसई मार्कशीट शेयर की थी. उन्होंने कहा कि सिर्फ मार्क्स यह तय नहीं करते कि छात्र लाइफ में सफलता हासिल करेगा या नहीं. अंकुर की 12वीं की मार्कशीट में उन्हें मैथ्स, फिजिक्स, केमेस्ट्री आदि हर विषय में ए वन ग्रेड मिला है लेकिन सिर्फ अंग्रेजी में ही उन्हें सी वन ग्रेड मिला है.
12वीं क्लास में अंग्रेजी में ही आए थे सबसे कम मार्क्स
अंकुर ने मनी और सेल्फ अवेयरनेस एपिस मनी, डू एपिक शिट जैसी पॉपुलर किताबें अंग्रेजी में लिखी हुई हैं. जबकि बोर्ड परीक्षा में अंग्रेजी में ही उनके सबसे कम अंक आए थे. अपनी मार्कशीट की तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा कि मैंने 12वीं कक्षा में अंग्रेजी में केवल 100 में से 57 अंक हासिल किए थे. ईमानदारी से कहूं तो मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी, मैं खुद को असफल महसूस कर रहा था, लेकिन आज, लोग मुझे एक अच्छा स्पीकर कहते हैं. एक ऐसा व्यक्ति जो एक आत्मविश्वासी वक्ता है. अगर मेरे अंक मेरी क्षमता को बताते तो मैं कहीं का नहीं होता.
20 साल बाद अंकुर वारिकू को हुआ एहसास
इसके साथ ही अंकुर वारिकू ने यह भी बताया कि वह एक अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल से पढ़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें हमेशा अच्छे मार्क्स मिलते थे. अंकुर ने लिखा कि लेकिन मुझे रिजल्ट में 57 मार्क्स मिले, पूरे क्लास में सबसे कम अंक मेरे ही थे. मैं बहुत शॉक था और मुझे लगा रहा था कि अब यही अंक मेरी पहचान हैं. बीस साल बाद, अंकुर वारिकू को एहसास हुआ और उन्होंने कहा कि परीक्षा उनका अस्तित्व नहीं है. कोई भी परीक्षा मेरा अस्तित्व नहीं थी, चाहे मेरे अंक अधिक हों या कम. यह सिर्फ एक परिणाम था. मैं अपने प्रयासों से उस परिणाम को बदल सकता था. उन्होंने आगे कहा कि आपके अंकों में आपको परिभाषित करने की शक्ति नहीं है. केवल आपके पास ही आपको परिभाषित करने की शक्ति है.
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सोशल मीडिया पर लोगों के तर्क-वितर्क
अंकुर वारिकू की इस पोस्ट पर लोग तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं. एक ने लिखा कि भाई मेरे 93 प्रतिशत आए थे लेकिन मेरी अंग्रेजी बेकार है. कई यूजर ने लिखा मार्क्स सिर्फ एक मजाक है, अंकों ने कुछ नहीं होता है. तो वहीं, एक अन्य यूजर ने सभी का विरोध करते हुए कमेंट किया कि 'सिर्फ इसलिए आपने अच्छा स्कोर नहीं किया इसका मतलब यह नहीं है कि अंक मजाक हैं. हम छात्र स्कोर करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. इसीलिए हम अच्छे संस्थानों में जाते हैं. मैं मानता हूं कि अंक हमारी क्षमताओं का आकलन नहीं करते लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि अंक मजाक हैं. कठिन अध्ययन से हम धैर्य, दृढ़ संकल्प और न जाने क्या-क्या सीखते हैं. इसे हासिल करने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है'.