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8 साल के प्रणीत के हौसले को सलाम! शिक्षा से वंचित बच्चों को पढ़ाने के लिए शुरू की फ्री क्लास

मुंबई में रहने वाले 8 साल के प्रणीत ने कोविड के समय में जो पहल की वो आज कई बच्चों की शिक्षा का सहारा बन गई है. कोविड के समय ऑनलाइन क्लास तो चल रही थी मगर कुछ बच्चे थे जिनके पास पढ़ाई ऑनलाइन करने के लिए कोई संसाधन नहीं था. ऐसे में प्रणीत ने एक निर्णय लिया और ऐसे बच्चों को शिक्षा देना शुरू किया.

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Praneet Teacher
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कोविड महामारी ने देश में बहुत कुछ बदल दिया. कोरोना काल में लोगों के जीने का तरीका बदला क्‍योंकि लोग पाबंदियों के बीच जीने के लिए मजबूर थे. ऐसे में देश में एक और चीज बदली, वो था शिक्षा का तरीका. ऐसे में बच्चों को कोविड संक्रमण से बचाने के लिए ऑनलाइन क्लास शुरू की गईं थी, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर असर न पड़े. 

देश में कोविड का प्रकोप सबसे अधिक मुंबई में था. यहीं लोगों ने कोविड के समय भारी दिक्कतों का सामना भी किया और कई सारे लोग इस महामारी के समय में लोगों की मदद के लिए आगे भी आये. इन्‍हीं में से एक हैं प्रणीत, जो खुद 8 साल के हैं, मगर बच्‍चों की शिक्षा के लिए उन्‍होंने एक अनोखी पहल की.

मुंबई में रहने वाले 8 साल के प्रणीत ने कोविड के समय में जो पहल की, तो आज कई बच्चों की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण बन गई है. कोविड के समय ऑनलाइन क्लास तो चल रही थी मगर कुछ बच्चे थे जिन के पास पढ़ाई ऑनलाइन करने के लिए कोई संसाधन नहीं था. ऐसे में प्रणीत ने एक निर्णय लिया और ऐसे बच्चों को शिक्षा देना शुरू किया. 

शुरू में प्रणीत ने सबसे पहले स्कूलों से नाम कटवा चुके बच्चों की तलाश की और फिर उन्हें ऑनलाइन माध्यम से अपनी क्लास के पाठ्यक्रम को पढ़ाना शुरू किया. धीरे-धीरे इस पहल में बहुत सारे बच्‍चे जुड़ने शुरू हो गए.

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आज प्रणीत की पढ़ाओ इंडिया पहल से बहुत सारे बच्चे शिक्षा ले रहे हैं. वहीं, हमउम्र शिक्षक के पढ़ाने से प्रणीत के स्टूडेंट्स को भी अच्छा लगता है. प्रणीत की इस पहल से प्रभावित होकर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी उसे सम्मानित कर चुके हैं.

प्रणीत ने अंग्रेजी व्याकरण, गणित, जीके और ईवीएस के अपने ज्ञान को साझा करके 35 वंचित बच्चों के साथ 400 घंटे से अधिक ऑनलाइन सेशन आयोजित किए हैं. वह इस मुहिम को लगातार आगे बढ़ा रहे है और ज्‍यादा से ज्‍यादा बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. 

 

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