केरल के स्कूलों में हाल ही में शिक्षा विभाग ने जुम्बा क्लासेस की शुरुआत की, लेकिन अब मुस्लिम समूह द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है. उनका कहना है कि लड़के-लड़कियों का एकसाथ नाचना, वो भी 'कम कपड़ों में' कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता'. इस बीच आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है, जुम्बा क्या है, इसमें क्या होता है और इसकी शुरुआत कैसे हुई.
Zumba क्या होता है?
आजकल फिट रहने के लिए लोग जिम, योगा के अलावा जुम्बा (Zumba) क्लासेस भी ले रहे हैं. इसमें डांस मूव्स के जरिये एक्सरसाइज की जाती है. जुम्बा अधिकतर लोग इसलिए भी ज्वॉइन करते हैं क्योंकि इसे करने में थोड़ा मजा आता है. इसमें डांस और ऐरोबिक्स एक साथ किया जाता है. जुम्बा की खास बात ये है कि इसके लिए जिम की तरह किसी भी तरह के उपकरण की जरूरत नहीं होती. इसमें सिर्फ आरामदायक जूते और कपड़े चाहिए होते हैं. हर क्लास में अलग गाने और मूव्स होते हैं, जिससे यह वर्कआउट काफी मज़ेदार और एनर्जेटिक बन जाता है.
जुम्बा एक ऐसी एक्सरसाइज है जिसे आमतौर पर खड़े होकर किया जाता है, लेकिन इसे करने का कोई सख्त नियम नहीं है, जैसे डांस में अलग-अलग स्टेप्स होते हैं, वैसे ही जुम्बा को भी विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है. इस वर्कआउट की सबसे खास बात यह है कि इसे किसी भी गाने पर किया जा सकता है, इसमें संगीत को लेकर कोई बाध्यता नहीं होती. हालांकि, इसमें मुख्य रूप से साल्सा (Salsa), मेरेंग (Merengue), कुम्बिया (Cumbia), रेगेटॉन (Reggaeton), और हिप-हॉप (Hip-hop) जैसे लैटिन और अंतरराष्ट्रीय डांस स्टाइल शामिल होते हैं. भारत में अधिकतर लोग बॉलीवुड गानों पर जुम्बा करना पसंद करते हैं.
Zumba के कितने प्रकार होते हैं?
जुम्बा में म्यूजिक थोड़ा फास्ट होता है. फास्ट बीट वाले म्यूजिक पर एक्सरसाइज की तरह डांस किया जाता है. छोटे बच्चों के लिए जुम्बा किड्स के सेशन लिए जाते हैं, इसमें थोड़े आसान स्टेप्स होते हैं. बच्चों वाले जुम्बा को Zumbini कहा जाता है. इसके बाद सीनियर सिटीजन के लिए जुम्बा गोल्ड होता है. इसके अलावा पानी में भी जुम्बा किया जाता है, जिसे Aqua जुम्बा कहते हैं. कभी-कभी मसल्स को टोन करने के लिए हल्के वज़न के साथ जुम्बा किया जाता है, जिसे जुम्बा टोनिंग किया जाता है.
Zumba की शुरुआत कब और कैसे हुई?
एक्सरसाइज के इस फॉर्म की शुरआत एक एरोबिक्स ट्रेनर अल्बर्टो बेटो पेरेज़ ने की थी. साल 1986 से पहले फिट रहने के लिए लोग एरोबिक्स किया करते थे.एक दिन वह अपनी क्लास के लिए पॉप म्यूज़िक की कैसेट भूल गए, तो उन्होंने कार में रखे लैटिन गानों (जैसे साल्सा और मेरेंग) की मदद से 30 मिनट की एक क्लास ली.
एक्सरसाइज कराने का यह तरीका उनके स्टूडेंट्स को बेहद पसंद आया और फिर रोज इसी तरह एक्सरसाइज होने लगी. धीरे-धीरे हर कोई इसे फॉलो करने लग गया और समय के साथ जुम्बा लोकप्रिय होता चला गया. ये इतना लोकप्रिय हो गया कि बेतो पेरेज़ ने साल 2001 में ‘ज़ुम्बा फिटनेस’ नाम की कंपनी शुरू कर दी. विदशों में लोग अपने गानों में डांस करके एक्सरसाइज करते हैं और भारत में जुम्बा बॉलीवुड और रीजनल सॉन्ग पर किया जाता है.
केरल में जुम्बा पर विवाद क्यों हो रहा है?
केरल के स्कूलों में कुछ दिन जुम्बा क्लासेस शुरू होने के बाद ही इसको लेकर हंगामा शुरू हो गया है. यह प्रोग्राम सरकार के नशा विरोधी अभियान का हिस्सा है. विजडम इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन' के महासचिव और टीचर टी. के. अशरफ ने फेसबुक पर लिखा, 'मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता और न ही मैं और मेरा बेटा इन सेशन्स में भाग लेंगे.' वहीं, 'समस्ता' (एक प्रमुख मुस्लिम संगठन) के नेता नसर फैज़ी कूड़ाथाय ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई है.
उन्होंने फेसबुक पर जुम्बा क्लासेस के खिलाफ पोस्ट किया. पोस्ट में उन्होंने लिखा, ''केरल सरकार ने स्कूलों में जुम्बा डांस लागू किया है. जुम्बा एक ऐसा डांस है जिसमें कम कपड़ों में एकसाथ डांस किया जाता है. अगर सरकार ने इसे बड़े बच्चों के लिए भी अनिवार्य किया है, तो यह आपत्तिजनक होगा. मौजूदा शारीरिक शिक्षा को सुधारने के बजाय अश्लीलता थोपना ठीक नहीं. यह उन छात्रों की निजी स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जिनका मॉरल सेंस उन्हें इस तरह गुस्सा निकालने और साथ नाचने की इजाजत नहीं देता.' The Hindu के अनुसार, इस बीच, सरकार ने मुस्लिम समूहों के विरोध के बावजूद जुम्बा को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी के अनुसार, छात्र अपनी रेगुलर ड्रेस में जुम्बा में भाग ले सकते हैं.
RSS के सर्मथक ने किया केरल के स्कूलों में जुम्बा का विरोध
आरएसएस समर्थक Bharatheeya Vichara Kendram के अनुसार, केरल सरकार राज्य में मादक पदार्थ लाने वाले ड्रग तस्करी नेटवर्क को खत्म करने में बुरी तरह विफल रही है. नशा विरोधी अभियान की आड़ में स्कूलों में 'जुम्बा' करके विदेशी संस्कृति को बढ़ावा दे रही है, केंद्रम के निदेशक आर संजयन ने एक बयान में कहा, "ड्रग विरोधी अभियान की आड़ में स्कूली छात्रों को विदेशी वस्तु जुम्बा का अभ्यास करने के लिए मजबूर करना एक दुर्भावनापूर्ण कदम है."
उन्होंने कहा, "केरल में मादक पदार्थ की आपूर्ति करने वाले ड्रग तस्करी नेटवर्क को खत्म करने के बजाय, वामपंथी सरकार केवल नशीली दवाओं के दुरुपयोग के पीड़ितों को गिरफ्तार करके सार्वजनिक तमाशा करना जारी रखती है." उन्होंने कहा, "इस संदर्भ में जुम्बा के नाम पर सरकार का पाखंड स्पष्ट हो जाता है. "केरल में कला और खेल की एक शानदार परंपरा है. हालांकि, सरकार इसे पोषित करने या संरक्षित करने का कोई प्रयास नहीं करती है."