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World Arthritis Day: कितनी तरह का होता है आर्थराइटिस, क्‍या इलाज है संभव? जानें 10 बड़े फैक्‍ट्स

World Arthritis Day Myths and Facts: आर्थराइटिस के खतरे और इसकी पहचान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 12 अक्‍टूबर को वर्ल्‍ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है. यह एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम है, जो मस्कुलोस्केलेटल रोगों के बारे में जागरूकता पैदा करने और लोगों को लक्षणों और निवारक उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है.

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World Arthritis Day 2022
World Arthritis Day 2022

World Arthritis Day Myths and Facts: हर सुबह दर्द से तड़पते, कड़े और सूजे हुए जोड़ों के साथ जागना एक बेहद पीड़ादायक एहसास है. आर्थराइटिस या गठिया से पीड़ित लोग हर दिन अपने बिगड़ते जोड़ो और आपस में रगड़ खाती हडि्डयों के भीषण दर्द से जूझते हैं. आर्थराइटिस मरीज के जोड़ों पर असर करता है और हडि्डयों के बीच के कार्टिलेज को खत्‍म करने लगता है. बढ़ती उम्र के साथ इसका खतरा बढ़ता जाता है. इस समस्‍या की समय से पहचान बेहद जरूरी है. शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही अगर डॉक्‍टर से मदद ली जाए तो स्थिति गंभीर होने से बच सकती है. 

ऐसे में, आर्थराइटिस के खतरे और इसकी पहचान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 12 अक्‍टूबर को वर्ल्‍ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है. यह एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम है, जो हर साल 12 अक्टूबर को मस्कुलोस्केलेटल रोगों के बारे में जागरूकता पैदा करने, किसी के जीवन पर इसके प्रभाव और लोगों को लक्षणों और निवारक उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है. भारत में भी आर्थराइटिस के मरीजों की गिनती काफी बड़ी है. आइये जानते हैं इससे जुड़े 10 बड़े फैक्‍ट्स-

1. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में 60 वर्ष से अधिक आयु के 9.6% पुरुषों और 18.0% महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस है. महिलाओं में इस बीमारी की संख्‍या पुरूषों के मुकाबले दोगुनी है.
2. बढ़ती उम्र के साथ आर्थराइटिस का खतरा बढ़ता है. 60 वर्ष की अधिक आयु के लोगों में यह ज्‍यादा देखा जाता है.
3. वर्तमान में, अब तक 100 से अधिक विभिन्न प्रकार के आर्थराइटिस का पता लगाया जा चुका है. इसमें कुछ सबसे प्रमुख हैं ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटीइड आर्थराइटिस, सेप्टिक आर्थराइटिस, एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस, जूवेनाइल आइडोपैथिक आर्थराइटिस और गाउट शामिल हैं.
4. ऑस्टियोआर्थराइटिस दूसरी सबसे आम रुमेटोलॉजिकल समस्या है और यह भारत में 22% से 39% की व्यापकता के साथ सबसे बड़ी ज्‍वाइंट डिसीज़ है.
5. ऑस्टियोआर्थराइटिस पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्‍यादा कॉमन है. 
6. 65 वर्ष से अधिक आयु की लगभग 45% महिलाओं में इसके लक्षण होते हैं, जबकि 65 वर्ष से अधिक उम्र की 70% महिलाओं में OA के रेडियोलॉजिकल प्रमाण दिखाई देते हैं.
7. आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों की कुल आबादी में से दो-तिहाई लोग 65 वर्ष से कम आयु के हैं. अध्ययनों से पता चला है कि प्रत्येक 250 में से लगभग 1 बच्चा भी किसी न किसी प्रकार की गठिया की स्थिति से पीड़ित है.
8. कई रिपोर्ट्स में यह पाया गया है कि जो लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं, उनमें आर्थराइटिस का खतरा ज्‍यादा होता है, खासकर घुटनों जैसे वजन वाले जोड़ों में.
9. आर्थराइटिस का इलाज संभव है. लगभग सभी इन्‍फ्लेमेट्री आर्थराइटिस ट्रीटेबल हैं. इसकी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं, मगर रेगुलर फॉलो-अप जरूरी है.
10. अगर इसके शुरूआती लक्षणों को पहचानकर समय से इलाज लिया जाए तो किसी भी पर्मानेन्‍ट डिसेबिलिटी से बचा जा सकता है.

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