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On This Day: जब दूसरी बार अंतरिक्ष फतह करने निकलीं कल्पना चावला, फिर यूं टूट गए सपने

On This Day History: कल्पना चावला पीएचडी करने के बाद साल 1988 में नासा अनुसंधान से जुड़ीं और करीब 7 साल बाद (साल 1995 में) वह दिन आया जब नासा ने उन्हें अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना. उन्होंने पहली बार 19 नवंबर 1997 को और दूसरी बार 16 जनवरी 2003 को आंतरिक्ष यात्रा के लिए उड़ान भरी थी.

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नासा वैज्ञानिक और एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला
नासा वैज्ञानिक और एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला

कल्पना चावला, भारतीय मूल की वह महिला जिसने एक नहीं बल्कि दो बार अंतरिक्ष की सैर की थी. आज ही के दिन यानी 16 जनवरी 2003 को कल्पना ने अंतरिक्ष के लिए आखिरी बार नासा के स्पेस यान कोलंबिया स्पेस शटल से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन वे दोबारा धरती पर नहीं लौट पाईं थीं. 1 फरवरी 2003 को वापस लौटते समय उनका स्पेस यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस दुर्घटना में उनके साथ सभी सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी.

डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे पिता
नासा वैज्ञानिक और एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था. उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माता का नाम संजयोती चावला था. कल्पना की शुरुआती शिक्षा पंजाब के करनाल के टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हुई. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब वे 8वीं क्लास में थीं तब उन्होंने इंजीनियर बनने की चाह बताई थी लेकिन उनके पिता उन्होंने डॉक्टर या टीचर बनाना चाहते थे. मां और भाई-बहनों उन्हें हमेशा सपोर्ट करते थे. कल्पना ने अपने सपने को पूरा करने के लिए पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से बैचलर डिग्री हासिल की.

इसके बाद वह अमेरिका चली गईं. 1984 में उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर किया और 1986 में फिर से इसी सब्जेक्ट में मास्टर्स किया. 1988 में कल्पना ने कोलोराडो यूनिवर्सिटी बोल्डर से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी. इसी बीच कल्पना ने फ्रांस के जान पियर से शादी की जो एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे.

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जब अंतरिक्ष यात्रा के लिए कल्पना चुनी गईं कल्पना
अपनी पीएचडी करने के बाद साल 1988 में नासा अनुसंधान से जुड़ीं और करीब 7 साल बाद (साल 1995 में) वह दिन आया जब नासा ने उन्हें अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना. जाहिर है कल्पना के साथ-साथ उनके परिवार और भारत के लिए भी यह ऐतिहासिक दिन था. चार भाई-बहनों में सबसे छोटी कल्पना बचपन से अंतरिक्ष में जाने का सपना देखती थीं, जो उन्होंने महज 35 वर्ष की उम्र में पूरा कर दिखाया था. पहली बार उन्होंने 19 नवंबर 1997 को एस टी एस 87 कोलंबिया शटल से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी. कल्पना ने 5 दिसंबर 1997 तक अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और पृथ्वी के 252 चक्कर लगाए. इस सफल मिशन के बाद उन्होंने 2003 में अंतरिक्ष के लिए दूसरी उड़ान भरी थी.

...और धरती पर कभी नहीं लौटीं कल्पना
कल्पना की दूसरी और आखिरी उड़ान 16 जनवरी, 2003 को स्पेस शटल कोलंबिया से शुरू हुई. विज्ञान और अनुसंधान पर आधारित 16 दिन का वह अंतरिक्ष मिशन कल्पना और उनके साथियों के लिए आखिरी मिशन बन गया. 1 फरवरी 2003 को धरती पर वापस लौटते समय उनका स्पेस शिप पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया. इस दुर्घटना में कल्पना के साथ 6 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की भी मौत हो गई थी.

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