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IIT, Bits नहीं... टेक कंपनियों में इन कॉलेजों के सबसे ज्यादा स्टूडेंट नौकरी करते हैं?

भारत के बड़े टेक कंपनियों में एक-तिहाई से ज़्यादा कर्मचारी आईआईटी या बीआईटी जैसे कॉलेजों के नहीं, बल्कि टियर-3 कॉलेजों से पढ़े हुए हैं. यह खुलासा एक कंपनी द्वारा किए गए सर्वे के बाद हुआ.

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भारत की अग्रणी टेक कंपनियों में भरे पड़े हैं छोटे कॉलेज और विश्वविद्यालय से निकले पढ़ाई कर निकले हुए प्रोफेशनल्स (Photo - Pexels)
भारत की अग्रणी टेक कंपनियों में भरे पड़े हैं छोटे कॉलेज और विश्वविद्यालय से निकले पढ़ाई कर निकले हुए प्रोफेशनल्स (Photo - Pexels)

भारत के टियर-3 के कॉलेजों से पढ़ाई करने वाले लोग आज बड़ी टेक कंपनियों में राज कर रहे हैं. इन कंपनियों में ये आईआईटियन और बिट्स पिलानी जैसे संस्थानों से पढ़कर आए लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं. 

17 से 24 सितंबर के बीच एक कंपनी ने टेक कंपनियों में काम करने वाले पेशेवरों को लेकर एक सर्वे किया था. इसमें 1,602 भारतीय प्रोफेशनल्स से प्रतिक्रियाएं ली गई थीं. इसमें सामने कि प्रतिभा और कौशल के सामने प्रतिष्ठित कॉलेज या विश्वविद्यालय से पढ़ाई मायने नहीं रखता है. 

कॉलेजों तरह के लेवल पर क्लासीफाई किया गया
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2025 के आधार पर कॉलेजों को चार स्तरों में बांटा गया था. सर्वे के वर्गीकरण के अनुसार, टियर-1 में IIT, IISc, शीर्ष IIM और बिट्स पिलानी जैसे प्रमुख संस्थान शामिल किए गए. टियर-2 में NIT, DTU और जादवपुर विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय शामिल थे और टियर-3 में देश भर के अन्य राज्य या निजी विश्वविद्यालय शामिल हैं.

टेक कंपनियों में काम करने वाले प्रोफेशनल्स ने दिए ऐसे रिएक्शंस
सर्वेक्षण में पाया गया कि अग्रणी प्रौद्योगिकी कंपनियां अपने पूर्व छात्रों की तुलना में कौशल को अधिक प्राथमिकता दे रही हैं. जोहो, एप्पल, एनवीडिया, एसएपी और पेपाल जैसी कंपनियों में, जहां कई उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके कॉलेज का उनके करियर पर बहुत कम प्रभाव पड़ा.

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टियर-3 स्नातकों की संख्या वर्कफोर्स में औसतन 34% थी. इसके विपरीत, सर्वेक्षण में पाया गया कि गोल्डमैन सैक्स, वीजा, एटलसियन, ओरेकल और गूगल जैसी कंपनियां अभी भी कैंपस भर्ती पर बहुत अधिक निर्भर हैं.

करियर को शेप देने में कॉलेजों का कोई महत्व नहीं
सर्वेक्षण में यह भी स्पष्ट फर्क सामने आया कि लोग अपने करियर को आकार देने में अपने कॉलेज की भूमिका को कैसे देखते हैं. अधिकांश टियर-1 और टियर-2 पूर्व छात्रों ने अपने करियर की सफलताओं का श्रेय कैंपस भर्ती को दिया, जबकि 59% टियर-3 ग्रेजुएट्स और 45% विदेशी कॉलेजों से पढ़कर आए पेशेवरों ने अपने कॉलेज को एक रिज्यूमे के विवरण से ज़्यादा कुछ नहीं माना.

टीयर-1 कॉलेज का छात्रों को कैंपस सेलेक्शन में मिला लाभ
वेतन पर प्रभाव के संदर्भ में, केवल 15% टियर-3 पूर्व छात्रों ने कहा कि उनकी शिक्षा का उनकी कमाई पर गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. ये निष्कर्ष भारत के तकनीकी उद्योग में एक बदलते रुझान को उजागर करता है. जहां पेशेवरों की सफलता को आकार देने में स्किल और अडप्टेशन का महत्व, कॉलेज के प्रभाव से कहीं ज्यादा है. 

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