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अंतरिक्ष से या फिर जमीन से... पृथ्वी पर इतना पानी कहां से आया? ये रहा जवाब

पृथ्वी पर पानी की उत्पत्ति को लेकर वैज्ञानिक हमेशा से असमंजस में रहे हैं. जीवन के लिए जरूरी ये तरल पदार्थ केवल हमारे ही ग्रह पर पाया जाता है, इसलिए ये खास है, लेकिन ये सिर्फ पृथ्वी पर कहां से आया?

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कहा जाता है कि पृथ्वी पर एस्ट्रॉयड पानी लेकर आए हैं. (Photo: Pixabay)
कहा जाता है कि पृथ्वी पर एस्ट्रॉयड पानी लेकर आए हैं. (Photo: Pixabay)

पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी है, हमारा शरीर पानी से बना है, हमें जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता है. लेकिन ये पृथ्वी पर आया कहां से? क्या इसे कोई एस्ट्रॉयड अपने साथ लेकर आया या ये पहले से यहां मौजूद था? तो आज जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर जीवन की ये सबसे जरूरी चीज आई कहां से है? धरती पर पानी के आने को लेकर दो मुख्य थ्योरीज़ हैं. चलिए समझते हैं-

धरती पर पहले से पानी मौजूद था
पहली थ्योरी कहती है कि साढ़े 400 करोड़ साल पहले धरती के बनने के दौरान ही यहां पर पहले से पानी था. उस समय धरती की मैंटल लेयर में मौजूद चट्टानों में ही पानी था. शुरुआत में धरती बहुत ज्यादा गर्म थी, अगर ऐसा है भी तो इतनी गर्मी से पानी भाप में बदल जाना चाहिए. तापमान 2 हजार डिग्री से भी ज्यादा पहुंच चुका था.

इस थ्योरी के अनुसार, ज्वालामुखी फटने से ये पानी चट्टानों से निकलकर, भाप बनकर वायुमंडल में पहुंचा और बाद में बारिश के रूप में धरती की सतह पर गिरा. विशेषज्ञों का अनुमान है कि धरती के अंदर की चट्टानों में महासागरों के मुकाबले 18 गुना ज्यादा पानी है.

एस्टेरॉयड के टकराने से आया पानी
एक दूसरी थ्योरी कहती है कि एस्टेरॉयड बाहर से अपने साथ यहां पानी लेकर आए हैं. जब लेट हेवी बोम्बार्डमेंट के दौरान ये पृथ्वी से लगातार टकरा रहे थे, तब वो सतह पर पानी छोड़ गए. वैज्ञानिकों ने जुपीटर और मार्स के आसपास कोन्ड्राइट नाम के बर्फीले मीटियोराइट खोजे हैं, जिनके मिनरल्स में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मॉलिक्यूल हैं. वहीं र्यूगू नाम के एक एस्टेरॉयड में धरती पर पाया जाने वाला पानी भी मिला है.

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तो हो सकता है कि धरती पर पानी एस्टेरॉयड और कॉमेट के कारण आया हो. लेकिन पृथ्वी की चट्टानों में जो पानी है, वो एंस्टाटाइट नाम के एक दूसरे मिनरल से बनता है, जिसमें हल्के हाइड्रोजन के मॉलिक्यूल हैं, और वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी से इतने सारे एंस्टाटाइट वाले एस्टेरॉयड एकसाथ टकराना असंभव है जो हमें इतनी ज्यादा मात्रा में पानी दे जाएं. इसलिए पृथ्वी पर पानी असल में कैसे आया ये अब भी स्पष्ट नहीं है. 

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