ताजमहल को दुनिया का 7वां अजूबा कहा जाता है, जिसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था, लेकिन क्या ताजमहल की छत में कोई छेद है? क्या मुमताज की कब्र पर पानी टपकता है? क्या अविश्वसनीय और बेहतरीन शिल्पकला में माहिर लोगों से भी गलती हुई है? जब संसद में इस पर सरकार की ओर से जवाब आया तो सभी हैरान थे. क्योंकि ताजमहल, हर साल लगभग 80 लाख पर्यटकों को आकर्षित करता है, भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है. इस घटना ने स्मारकों के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने की जरूरत को फिर से उजागर किया है.
दरअसल, दिसंबर 2024 में संसद में ताजमहल की छत में छेद और छेद से पानी टपकने के मामले पर सरकार से सवाल पूछा गया था. केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने संसद में बताया था कि 10 से 12 सितंबर, 2024 को आगरा में लगातार तीन दिनों की भारी बारिश के दौरान 12 सितंबर को ताजमहल के मुख्य गुंबद की छत से पानी की कुछ बूंदें टपकती देखी गईं. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह रिसाव मामूली था और गुंबद में कोई गंभीर क्षति नहीं हुई.
उस दौरान आगरा में 151 मिलीमीटर बारिश, जो पिछले 80 वर्षों में एक दिन में सबसे अधिक थी, ने न केवल ताजमहल, बल्कि आगरा किला, फतेहपुर सीकरी और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों को भी प्रभावित किया था.
हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए तत्काल ताजमहल की जांच और मरम्मत शुरू कर दी थी. ASI के आगरा सर्कल के अधीक्षक पुरातत्वविद् के अनुसार, ड्रोन कैमरों से जांच के बाद गुंबद के पत्थरों में छोटी-छोटी दरार और टॉप पर लगे कलश की धातु में जंग की आशंका सामने आई, जिसके कारण यह रिसाव हुआ था. फिलहाल वर्तमान में ताजमहल की छत में छेद को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, जहां से शाहजहां की पत्नी मुमताज की कब्र पर पानी टपकता हो.
बता दें कि ताजमहल के सेंट्रल गुंबद को थोड़ी ढलान के साथ डिजाइन किया गया है जो बारिश के पानी को ड्रेनेज पॉइंट तक पहुंचाता है. इन प्रणालियों को खासतौर से बनाया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पानी छत या फर्श पर जमा न हो.