रामकृष्ण परमहंस 19वीं सदी के भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक गुरू थे. परम रहस्यवादी और सच्चे योगी रामकृष्ण देवी काली के उपासक थे और उन्हें भगवान विष्णु का आधुनिक अवतार माना जाता था. हालांकि उन्होंने स्वयं कभी ऐसा कोई दावा नहीं किया था. उनका मानना था कि प्रत्येक पुरुष और महिला पवित्र हैं. उन्होंने कभी भी महान होने का दावा नहीं किया, और खुद को केवल एक आम आदमी माना जो देवी काली के चंचल और सौम्य स्वरूप का उपासक था.
उन्होंने कहा कि ईश्वर को प्राप्त करना मोक्ष से नहीं, बल्कि कर्म से संभव है. उनका कहना था, 'मनुष्य के प्रति दयालु होना ईश्वर के प्रति दयालु होना है, क्योंकि ईश्वर प्रत्येक मनुष्य में निवास करता है.' उन्होंने कई शिक्षाएं दीं जो आज भी युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक हैं-
- ज्ञान ऐकता की ओर ले जाता है जबकि अज्ञान बिखराव लाता है.
- ये मन ही है जो मनुष्य को बुद्धिमान या अज्ञानी, गुलाम या आज़ाद बनाता है.
- बारिश का पानी ऊंचाई पर नहीं ठहरता और ढलान पर बहकर नीचे जाता है. ऐसे ही ज्ञान भी घमंड में ऊंचे उठे सिर में नहीं ठहरता.
- गहरे समुद्र में मोती हैं, लेकिन उन्हें प्राप्त करने के लिए आपको सभी जोखिम उठाने होंगे. यदि आप एक ही गोता लगाकर उन तक पहुंचने में विफल रहते हैं, तो यह निष्कर्ष न निकालें कि समुद्र में मोती नहीं हैं. बार-बार गोता लगाएं और अंत में आपका सफलता पाना निश्चित है.