दुनिया के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति जो पिछले 43 साल से सत्ता के शीर्ष पर हैं, अब 92 साल की उम्र में आठवीं बार राष्ट्रपति बनने की तैयारी में जुट गए हैं. जानते हैं ये राष्ट्राध्यक्ष किस देश के राष्ट्रपति हैं और इनकी कहानी क्या है?
कैमरून के राष्ट्रपति पॉल बिया ने पहली बार 1982 में सत्ता संभाली थी और तब से इस मध्य अफ्रीकी देश में वो कोई चुनाव नहीं हारे हैं. विश्व के सबसे बुजुर्ग राष्ट्राध्यक्ष के रूप में कैमरून के राष्ट्रपति अक्टूबर में पुनः चुनाव की मांग कर रहे हैं , जिससे उनकी सत्ता के 43 वर्षों का आगे विस्तार हो जाए.
100 साल की आयु तक सत्ता में बने रहने का सपना
द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में वह 92 साल के हैं और उनका मानना है कि वह अगले सात वर्षों तक लगभग 100 साल की आयु तक सत्ता में बने रह सकते हैं.अब तक उनके कार्यकाल ने मिलीजुली तस्वीर पेश की है. इसमें प्रशंसा और आलोचना दोनों शामिल है.
राष्ट्रपति पॉल बिया ने पहली बार 1982 में सत्ता संभाली थी और तब से इस मध्य अफ्रीकी देश में कोई चुनाव नहीं हारे हैं.उनके शासन में कैमरून आर्थिक संकट से उबर गया और एकदलीय शासन से दूर चला गया.
अपनी उम्मीदवारी का किया ऐलान
बिया ने एक्स पर भी ये घोषणा की है कि इस साल अक्टूबर में होने वाले प्रेसिडेंशियल इलेक्शन में वो उम्मीदवार होंगे. उन्होंने दावा किया कि चुनाव लड़ने का उनका निर्णय 10 कैमरून क्षेत्रों और प्रवासी समुदाय से अनेक और आग्रहपूर्ण आह्वानों के बाद आया है.
बिया के दशकों के शासनको गबन , भ्रष्टाचार, खराब शासन और असुरक्षा के मुद्दे पर आलोचना का सामना करना पड़ा है. 2008 में, लोकतांत्रिक पतन के कारण कार्यकाल सीमा समाप्त कर दी गई - जिससे उन्हें लगातार पुनः निर्वाचित होने का अवसर मिला.
कभी मीडिया को कर दिया था इस वजह से बैन
उनके स्वास्थ्य और शासन करने की क्षमता को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की गई हैं. पिछले साल छह सप्ताह तक जनता की नजरों से रहस्यमयी ढंग से गायब रहने के दौरान, अधिकारियों ने मीडिया को राष्ट्रपति के स्वास्थ्य पर चर्चा करने से प्रतिबंधित कर दिया था.
जैसे ही अस्वस्थता की अफवाहें तेजी से फैलीं, गृह मंत्री पॉल अटांगान्जी ने कहा कि ऐसी खबरें कैमरूनवासियों की शांति भंग करती हैं. राष्ट्रपति के स्वास्थ्य को राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला माना गया और अपराधियों को कानूनी कार्रवाई की धमकी दी गई.
देश छोड़कर लंबे समय तक विदेशों में रहे
बिया लंबे समय तक विदेश में रहने के लिए भी जाने जाते हैं. बिया ने 2018 में दो साल से भी अधिक समय बाद पहली बार कैबिनेट बैठक की थी. संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (ओसीसीआरपी) द्वारा समर्थित एक जांच में पाया गया कि बिया ने कुछ वर्षों, जैसे 2006 और 2009 में, साल का एक तिहाई हिस्सा विदेश में बिताया.
इस यात्रा के दौरान वे महत्वपूर्ण घटनाओं से चूक गए, जिनमें 2016 की रेल दुर्घटना भी शामिल थी. इसमें 75 लोग मारे गए थे, तथा एंग्लोफोन अल्पसंख्यकों के हाशिए पर होने के विरोध में हुए हिंसक दमन भी शामिल था.
इन विरोध प्रदर्शनों ने अंग्रेजी भाषी प्रांतों में अलगाववादी विद्रोह को जन्म दिया, जहां ऐतिहासिक रूप से फ्रांसीसी-भाषी बहुल सार्वजनिक संस्थानों में भेदभाव की शिकायत की जाती रही है.
अपनी ही पार्टी में उठने लगी विरोध में आवाज
इस वर्ष का चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब कैमरून के लोग बढ़ती जीवन-यापन लागत और उच्च बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं.रविवार को एक्स पर एक पोस्ट में बिया की उम्मीदवारी की पुष्टि के बाद उत्तरी क्षेत्रों में दीर्घकालिक सहयोगियों के साथ मतभेद उत्पन्न हो गया, जो पहले उत्तरी क्षेत्रों में वोट हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे.
प्रमुख मंत्री इस्सा चिरोमा बाकरी और पूर्व प्रधानमंत्री बेलो बौबा मैगारी ने सत्तारूढ़ गठबंधन छोड़ दिया और अलग-अलग अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की. चिरोमा ने कहा कि एक देश एक व्यक्ति से हमेशा नहीं चल सकता.