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One Nation-One Time: भारतीय मानक समय पर चलेंगी सभी घड़ियां, सरकार का ये है प्लान

आज के दौर में पूरी दुनिया का समयचक्र यानी टाइमजोन जीएमटी यानी ग्रीनविच मीन टाइम से ही मैच किया जाता है. लेकिन अब भारत में जल्द ही इंडियन टाइम स्टैंडर्ड (IST) के अनुसार घड़ियां चलेंगी.

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The government has decided to make mandatory the use of Indian Standard Time (Image: Meta AI)
The government has decided to make mandatory the use of Indian Standard Time (Image: Meta AI)

Indian Standard Time (IST): भारत सरकार अब देशभर में सभी कानूनी, वाणिज्यिक, डिजिटल और प्रशासनिक कार्यों के लिए इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) का पालन अनिवार्य करने जा रही है. उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को जानकारी दी कि इसके लिए बहुत जल्द ‘लीगल मेट्रोलॉजी (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) नियम, 2025’ अधिसूचित किए जाएंगे. ये नियम पूरे देश में एक समान समय प्रणाली लागू करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होंगे.

क्यों जरूरी है एक समान समय?

वर्तमान में देश के कई सेक्टर, जैसे बैंकिंग, इंटरनेट नेटवर्क और ट्रांसपोर्टेशन, विदेशी समय स्रोतों जैसे GPS पर निर्भर हैं. इससे डिजिटल लेनदेन में गड़बड़ी, साइबर हमलों का खतरा, बिलिंग में असमानता और समय की जांच में दिक्कतें आती हैं. मंत्री जोशी ने कहा, "आज के डेटा-ड्रिवन दौर में अगर घड़ियां सिंक्रोनाइज नहीं होंगी, तो डिजिटल सिस्टम में भारी गड़बड़ी पैदा होती है."

अब भारत का होगा ‘अपना समय’

सरकार की यह योजना IST को पूरी तरह भारत में स्थापित करने की है. इसके लिए CSIR-NPL (नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी) और ISRO के सहयोग से 'टाइम डिसेमिनेशन प्रोजेक्ट' पर काम हो रहा है. इसके तहत देश के पांच शहरों — अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, फरीदाबाद और गुवाहाटी में अत्याधुनिक एटॉमिक क्लॉक लैब्स तैयार की जा रही हैं जिन्हें NTP और PTP जैसे सुरक्षित नेटवर्क प्रोटोकॉल से जोड़ा जाएगा. यह सिस्टम मिलीसेकंड से माइक्रोसेकंड तक की सटीकता देगा.

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आम आदमी को क्या फायदा?

  • डिजिटल लेनदेन अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद होंगे
  • बिजली-पानी जैसे यूटिलिटी बिलिंग में सटीकता आएगी
  • साइबर क्राइम का खतरा कम होगा
  • रेलवे, एयरलाइंस, इंटरनेट और फोन सेवा जैसी चीज़ों में एक समान और समन्वित समय मिलेगा
  • डिजिटल डेटा की ट्रेसबिलिटी बेहतर होगी जिससे जांच प्रक्रिया आसान होगी

"अब हम होंगे One Nation, One Time"

प्रह्लाद जोशी ने कहा कि “हम जल्द ही नियमों की अधिसूचना जारी करेंगे. यह अब सिर्फ योजना नहीं है, बल्कि जल्द ही ‘वन नेशन, वन टाइम’ वास्तविकता बन जाएगा.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन नियमों के लागू होने के बाद किसी भी कार्य में कोई दूसरा समय संदर्भ (जैसे कि विदेशी टाइम ज़ोन) मान्य नहीं होगा, जब तक उसे सरकार द्वारा विशेष रूप से मंजूरी न दी जाए.

दिल्ली में बुधवार को आयोजित ‘राउंड टेबल कांफ्रेंस ऑन टाइम डिसेमिनेशन’ में 100 से अधिक क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें टेलीकॉम, बैंकिंग, रेलवे, ऊर्जा और डिजिटल सेवा क्षेत्रों के लोग शामिल थे. सभी ने इस पहल का समर्थन किया और इसे डिजिटल भारत के लिए मजबूत आधार बताया.

ग्रीनविच टाइम क्या है और दुनिया में अलग-अलग टाइमजोन क्यों हैं. यह पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

भारत में एक ही टाइमजोन क्यों है?

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भारत में आज एक ही टाइम ज़ोन यानी इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) है, जिसे आज़ादी के कुछ साल बाद अपनाया गया लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान भारत दो टाइम ज़ोन में बंटा हुआ था. खासकर कोलकाता का समय अलग निर्धारित होता था, जो 1948 तक जारी रहा.

हालांकि, आज भी पूर्व और पश्चिम भारत में सूर्योदय के समय में करीब 90 मिनट का फर्क होता है, लेकिन घड़ी में सभी जगह एक ही समय चलता है. इसका असर पूर्वोत्तर राज्यों, खासकर असम में देखा जाता है, जहां सूरज जल्दी उगता है और जल्दी ढलता है. इस वजह से कई संस्थान ‘टी गार्डन टाइम’ का पालन करते हैं, जो IST से करीब एक घंटा आगे है. इसका उद्देश्य दिन की रोशनी का अधिकतम उपयोग करना है ताकि काम के घंटे सूरज की रौशनी में पूरे किए जा सकें.

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