अगर आप जूतों के शौकीन हैं तो आपने नाइकी का नाम जरूर सुना होगा. आम आदमी से लेकर सेलेब्स तक इस ब्रांड के जूते, कपड़े और बाकी एक्सेसरीज पहने का शौक रखते हैं. नाइकी के नाम के साथ एक और चीज जो हम सबने सुनी है वो है इसका स्लोगन- Just Do it. क्या आपने कभी सोचा कि नाइकी कैसे जूतों की दुनिया का बादशाह बना? आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि इसका स्लोगन एक किलर के आखिरी शब्दों से बनाया गया. आइए जानते हैं इसकी कहानी.
झूठ से हुई थी इस कंपनी की शुरुआत
कंपनी की शुरुआत करने वाले फिल नाइट ने इस कंपनी को शुरू करने का सपना एमबीए करने के दौरान देखा. स्टेनफर्ड से ग्रेजुएट होते ही अपने आइडिया को सच में बदलने का फैसला किया और टूरिस्ट वीजा पर जापान के कोबे शहर पहुंचे. यहां उनकी नजर Onitsuka Tiger के स्टोर पर पड़ी. Onitsuka Tiger उन दिनों जापान में काफी प्रचलित थे, लेकिन वह अमेरिका के बाजार में नहीं मिलते थे. आमतौर पर Onitsuka Tiger रनर के लिए जूते डिजाइन करता था जो काफी हल्के और कंफर्टेबल भी होते थे.
अपनी आत्मकथा शूज डॉग में भी फिल नाइट ने इसका जिक्र भी किया है. फिल ने बताया कि उनके लिए इस मीटिंग में खुद को पेश करना काफी मुश्किल था क्योंकि उन्होंने हाल ही में पढ़ाई पूरी की थी और अब वह बिजनेस करना चाहते थे. उन्होंने Onitsuka Tiger के मालिक से मुलाकात में खुद को ब्लू रिब्बन स्पोर्ट्स का मालिक बताया जो अमेरिका में Onitsuka के जूते बेचना चाहती थी. अभी तक ऐसी कोई कंपनी नहीं थी, इसका आइडिया सिर्फ फिल नाइट के दिमाग में था. फिल ने अपनी पहली ही मुलाकात में Onitsuka को प्रभावित कर लिया और वह अपने जूत उन्हें देने के लिए तैयार हो गए.

कैसे हुई नाइकी की शुरुआत?
इस ब्रांड की स्थापना 1964 में हुई. 1964 से 1978 तक इस ब्रैंड को ब्लू रिबन स्पोर्ट्स के नाम से जाना जाता था. इस कंपनी की स्थापना फिल नाइट (Phil Knight) और बिल बोरमन (Bill Bowerman) द्वारा की गई थी. फिल अपने कॉलेज (University of Oregon) में एक रेसर थे और बिल उनके कोच. हालांकि, फिल ने स्टैंड फोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद अपने कोच से दोबारा मुलाकात की और कंपनी शुरू करने का आइडिया दिया. शुरुआती दिनों में ब्लू रिबन कंपनी (नाइकी) ने जापान की एक कंपनी Onitsuka Tiger जिसे अब ASICS के नाम से जाना जाता है से करार करके उनके जूते अमेरिका में लाकर बेचे.

कार की डिग्गी में रखकर बेचते थे जूते
कंपनी की शुरुआती दिनों में ब्लू रिबन कंपनी कार की डिग्गी में जूते रखकर बेचती थी. लेकिन 1964 में ब्लू रिबन कंपनी ने 1300 जोड़ी जापानी जूते बेचकर करीब 8000 डॉलर की कमाई की. इसके बाद 1965 तक नाइकी की सेल 20,000 डॉलर तक पहुंच गई और इन्होंने अपना पहना स्टोर 1966 में कैलीफोर्निया में खोला.
किसने डिजाइन किया लोगो?
जापानी कंपनी से 1971 में करार खत्म होने के बाद उन्होंने मेक्सिको में अपनी शो फैकट्री खोली. इसके बाद 1971 में नाइकी कंपनी का लोगो डिजाइन किया गया. नाइकी का लोगो जो एक 'राइट' के निशान जैसा दिखता है, असल में स्वोश (Swoosh) के नाम से जाना जाता है जिसे कैरोलिन डेविडसन ने उस वक्त 35 डॉलर में डिजाइन किया था. जून 1981 में पहली बार इस लोगो का इस्तेमाल किया गया. 1974 में कंपनी ने इस लोगो का पेटेंट करवाया.

कैसे ब्लू रिबन से नाइकी हुआ कंपनी का नाम?
कंपनी के नाम का आइडिया ब्लू रिबन के पहले कर्मचारी जेस जॉनसन ने दिया था. स्वोश से प्रेरणा लेते हुए जॉनसन ने नाइकी नाम सुझाया. ये नाम उन्होंने ग्रीक पौराणिक कथाओं की एक देवी नाइकी के नाम से लिया. पंखों वाली इस देवी का नाम Phil Knight को पसंद आया और उन्होंने तुरंत यही नाम पेटेंट करवा लिया.

कब आया पहला विज्ञापन?
1976 में नाइकी ने जॉन ब्राउन और पार्टनर्स को अपनी पहली विज्ञापन एजेंसी के रूप में चुना. इसी साल इस कंपनी ने एक ऐड बनाया जिसकी टैगलाइन थी “There is no finish line”. इसके बाद 1980 तक नाइकी ने अमेरिकी एथलेटिक जूता बाजार में 50% हिस्सेदारी हासिल कर ली और कंपनी उसी साल दिसंबर में सार्वजनिक हो गई.
Just Do It की कहानी
वाइडेन-केनेडी एड एजेंसी ने जब नाइके के लिए काम करना शुरू किया तो 1988 में Just Do It स्लोगन दिया. एड एजेंसी के सह-संस्थापक डैन वाइ़डेन ने एक किलर के आखिरी शब्दों 'Let's Do it' को बदलकर कंपनी के स्लोगन को Just Do it किया.
कौन था वो क्रिमनल जिसके शब्दों को बनाया गया नाइकी का स्लोगन?
19 जुलाई, 1976 को गैरी गिलमोर ने अमेरिकी राज्य उटाह के ओरेम में एक पेट्रोल पंप को लूटा और वहां के क्लर्क की हत्या कर दी. अगले दिन, उसने उटाह के प्रोवो में एक मोटल को लूटा, जहां वह अपनी मानसिक रूप से बीमार बहन, अप्रैल के साथ रह रहा था. इसके बाद पुलिस द्वारा उसे पकड़ा गया. कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई.

मौत की सजा मिलने के बाद गिलमोर ने खुद को गोली मारकर सजा पूरी करवाने का विकल्प चुना. अधिकारियों से उसने कहा कि जल्द से जल्द उसे मार दिया जाए. हालांकि, 1977 में उसको मारा गया. मौत से पहले उससे जब उसके आखिरी शब्द पूछे गए तो उसने कहा "Let's do it". जिसको बाद में नाइकी का स्लोगन Just Do It बनाया गया.